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Saturday, February 25, 2017

धूम धाम से मनाया गया शिव जी का पर्व

धूम धाम से मनाया गया शिव जी का पर्व----------------------------------------------------------जावेद आरिफ (रायबरेली ब्यूरो चीफ)

आज के दिन हुई थी भगवान शिव की शादी तो इसलिये निकलती है शिव की बारात, धूमधाम से मनाया गया शिव का पर्व                                  ( रायबरेली)। आज शुक्रवार को (जिला रायबरेली) मे महाशिवरात्री पर्व पर बाजारों मे रौनक देखने को मिली। वहीं आज इस पर्व पर जिलेभर के समस्त बैंको के अलावा स्कूल व काॅलेज भी बंद रहे। पुलिस और प्रशासन भी पूरी तरह से एलर्ट रहा। मंदिरों मे पूरी तरह रौनक रही। बताया जाता है कि देवों के देव भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व व व्रत विशेष रुप से अपने आप मे बहुत ही महत्व रखता है क्योंकि महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों में आस्था का बहुत बडा अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। तीनों लोकों के मालिक भगवान शिव का सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि है। कहते हैं महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर पृथ्वी पर उन जगहों पर होते हैं जहां-जहां उनके शिवलिंग होते हैं। यह पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन पहला शिवलिंग प्रकट हुआ था साथ ही महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था जो समुद्र मंथन के समय बाहर आया था। इस साल यह शुभ व्रत शुक्रवार को मनाया जा रहा है। इस दिन व्रत रखने से भगवान भोले नाथ शीघ्र प्रसन्न होकर उपवासक की मनोकामना पूरी करते हैं। इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष बच्चे युवा व बुजुर्ग करते हैं। इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पर और शिवपूजन शिव कथा शिव स्तोत्रों का पाठ व ऊं नम: शिवाय का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन यथाशक्ति वस्त्र क्षीर सहित भोजन दक्षिणा दिया जाता है। इस व्रत के विषय में मान्यता है कि जो व्रत करता करता है उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है। इस व्रत को लगातार 14 वर्षों तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका समापन करना चाहिए। व्रत का संकल्प सम्वत नाम मास पक्ष तिथि व अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए। महाशिवरात्रि के व्रत का संकल्प करने के लिये हाथ में जल चावल पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोड़ दी जाती है। उपवास की पूजन सामग्री में जिन वस्तुओं को प्रयोग किया जाता हैं उसमें पंचामृत गंगाजल दुध दही घी शहद सुगंधित फूल शुद्ध वस्त्र बिल्व पत धूप दीप नैवेध चंदन का लेप ऋतुफल हैं। इसके अलावा महाशिवरात्रि व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन भगवान भोले नाथ का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है। इसके ईशान कोण दिशा की ओर मुख कर शिव का पूजन धूप पुष्पादि और अन्य पूजन सामग्री से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में ऊं नम: शिवाय व शिवाय नम: का जाप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों तो घर की पूर्व दिशा में किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जाप किया जा सकता हैं। चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जापों से विशेष पुन्य प्राप्त होता है। उपावस के दौरान रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते है। महाशिवरात्रि के दिन शिव अभिषेक करने के लिए सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर पानी में बेलपत्र आक धतूरे के पुष्प चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किए जाते है। व्रत के दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए और मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए। शिवरात्रि के अगले दिन सवेरे जौ तिल खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्त का जमावड़ा शिव मंदिरों में विशेष रूप से देखने को मिलता है। भगवान भोले नाथ प्रसन्न होते है। जब उनका पूजन बेल-पत्र आदि चढ़ाते हुए किया जाता है। व्रत करने और पूजन के साथ जब रात्रि जागरण भी किया जाए तो यह व्रत और अधिक शुभ फल देता है। इस दिन भगवान शिव की शादी हुई थी इसलिए रात्रि में शिव की बारात निकाली जाती है। इस बारे मे एक कथा भी प्रचलित है। वहीं दूसरी और आज जिला बुलंदशहर मे उक्त पर्व बडे ही हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया और महिला व पुरुषों ने व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना की। बाजारों के साथ साथ मंदिरों मे काफी रौनक देखने को मिली महिलाओं ने दुकानों से भगवान शिव के पोस्टर भी खरीदे।

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