उन्नाव अक्राॅस टाइम्स
***अभी से सूख गई लोन नदी, कैसे बुझेगी मवेशियों की प्यास***
उन्नाव। कभी सदा नीरा रही लोन नदी जेठ की चटक धूप शुरू होने से पहले ही पूरी तरह सूख चुकी है। अब इसमें बारिश खत्म होने के बाद सीवरेज और फैक्ट्रियों का पानी ही बहता है। माघ मेला के आखरी स्नान पर्व पर अवध एक्सप्रेस की ओर से औद्योगिक इकाइयों के सीईटीपी के जीरो डिस्चार्ज का रियलटी चेक करने के दौरान गंगा की इस सहायक नदी का यही हाल देखा है। अवध एक्सप्रेस ने इससे पहले भी लोन नदी की दुर्दशा को उजागर किया है, लेकिन प्रशासन, शासन और सरकार के कान में जूं नहीं रेंगी है। बीते मंगलवार को माघ मेले के दौरान सीईटीपी से जल निकासी बंद होने की खबर समाचार पत्र ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी। विभिन्न स्नान पर्वों के दौरान लगातार सीईटीपी से पानी न छोड़े जाने के बाद भी नदी में हल्का पानी बहने का सिलसिला जारी होने की वजह से इसकी पड़ताल की। इस दौरान देखने को मिला की अपने उद्गम स्थल भदेसा ताल के पास तो नदी पूरी तरह सूखी है और अस्तित्व समाप्त दिखाई देता है। आगे बढ़ने पर मैकुआ खेड़ा के पास नदी एक सूखे नाले के तौर पर दिखाई देती है। इस गांव से कांशीराम शहरी आवास योजना को जोड़ने वाले कच्चे रास्ते पर एक तरफ पूरी तरफ नदी पूरी तरह सूखी पड़ी हैं। वहीं सड़क के दूसरे हिस्से में नदी में गंदा पानी भरा दिखाई देता है। जानकारी करने पर मैकुआ खेड़ा के निवासी बताते हैं कांशीराम कालोनी की नालियों और सीवर टैंक्स का गंदा पानी बहकर यहां लोन में गिरता है। इससे और आगे बढ़ने पर मैकुआ खेड़ा से लखनऊ- कानपुर रेलवे ट्रैक तक नदी में कहीं जलकुंभी देखने को मिलती है और कहीं अन्य अजीब सा खर-पतवार उगा है। ग्रामीणों ने बताया कि पानी का बहाव अधिक न होने के साथ सीवरेज का पानी होने की वजह जलकुंभी आदि जगे रहते हैं। इसके अन्दर ही अन्दर कांशीराम कालोनी की जलनिकासी का पानी बहता रहता है।
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