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Friday, March 3, 2017

जैविक प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के अभियान के लिए किसानों की कार्यशाला

जैविक प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के अभियान के लिए किसानों की कार्यशाला









शाहजहाँपुर। उर्वरको का सन्तुलित उपयोग एवं जैविक प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के अभियान के अन्र्तगत आधुनिक अन्नदाता/किसानों की कार्यशाला दैनिक जागरण संस्थान की ओर से जिला पंचायत के हाल में आयोजित हुआ । जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी कर्ण सिंह चैहान ने करते हुये दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। जिलाधिकारी ने कहा कि स्वस्थ मिट्टी होने से किसानों को फसल उत्पादन करने के लिये बड़ा प्राकृतिक सहयोग मिलता है। अधिक उर्वरक डालने  से जमीन की उर्वरक शक्ति धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में कृषि क्षेत्र से जुड़ी बहुत समस्यायें है। जिनका समाधान होना किसानों के लिये बहुत आवश्यक है। स्वस्थ्य मिट्टी, सुखी किसान, समर्थ नौजवान, के नारे से आधुनिक अन्नदाता को वैज्ञानिक विधि से खेती करने के लिये सन्तुलित उर्वरक के प्रयोग एवं जैविक प्राकृतिक खाद्य को बढ़ावा देने की जानकारी होना जरूरी है। किसानो को गांव में ही मिट्टी की जांच की सुविधा आधुनिक मशीन के माध्यम से दी जा रही है। मिट्टी की उर्वरक क्षमता एवं उसमें पाई गई कमी को जैविक/प्राकृतिक रूप से बनी खाद् का प्रयोग करते हुये किसान भाई अपनी फसल का उत्पादन बढ़ा सकते है। इससे वातावरण एवं पारिस्थितिकीय संतुलन बना रहेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि एक गांव में एक युवक को मिट्टी की जांच की तकनीक का प्रशिक्षण देते हुये अपने गांव के किसानो को खेत पर ही मिट्टी जांच की सुविधा और सेवा उपलब्ध कराया जाना प्रमुख कार्य है। जिलाधिकारी ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसधान संस्थान पूसा ने एक मशीन का अविष्कार किया है। जो किसानो को घर बैठे खेत में ही मिट्टी परीक्षण की सेवा उपलब्ध करवाने की दिशा में बढ़ा ही उपयोगी है। उन्होंने कहा कि विदेशो में वैज्ञानिक ढग से खेती करते हुये वहां के किसान काफी अच्छा उत्पादन करते है और उनकी आमदनी भी अच्छी है। हमे भी अपने देश में वैज्ञानिक ढ़ग से खेती करते हुये उपज बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज के इस प्रशिक्षण में आये हुये किसान बन्धु अच्छी तरह मिट्टी जांच की विधि को सीखते हुये अपना तथा अपने गांव के किसानो को इससे लाभान्वित करें।इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी टी0के0शिबु ने कहा कि हमारे देश में उतनी मृदा परीक्षण प्रयोगशालायें नही है। फिर भी किसानो को मिट्टी के नमूने लेने व उनका मृदा परीक्षण करवाना कम रहता है। मृदा परीक्षण से भूमि की उर्वरा शक्ति एवं मिट्टी के गुण-दोषो की जानकारी हो जाती है। उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से मिट्टी में अनेक प्रकार के रसायनिक खाद्ो का भरपूर प्रयोग किया जाता है। जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होती जा रही है। किसानो को चाहिये कि वे संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें और अधिक से अधिक जैविक व प्राकृतिक खादो का प्रयोग करें। जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी रहे और उत्पादन भी अधिक हो। उक्त अवसर पर किसान आदि उपस्थित रहे।

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