जब ईश्वर ने एैसा बनाया है तो ये अभिषापित जीवन जीना हमारी मजबूरी क्यों
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र।
हम किन्नर है, अौर सभी जाति, समुदायो की तरह ही किन्नर समाज का होना भी एक वस्तविकता है ! किन्नर समाज ज़िसे एक अलग ही नजरिये से देखा जाता है,आखिर क्यों ? समाज का एक विशेष हिस्सा है किन्नर, ज़िन्हे सभी वर्गो की भांति महत्व नहीं देता ये सारा समाज, वजह बहुत बड़ी अौर सात्विक है क्योंकि किन्नर स्त्री-पुरूष की श्रेणी में नहीं आते! ज़िसकी वजह से भेदभाव का जो एक आडम्बर रचा गया है उसके परिणाम स्वरूप सारे समाज में लोगो की मानसिकता किन्नरो प्रति डगमगाती नजर आती है जबकि किन्नरो का व्यक्तित्व आईने की तरह चमकदार होता है, इनके व्यक्तित्व को समाज के लोग न तो महत्व देते है अौर न ही समझना चाहते है! लेकिन किन्नर समाज की वह खूबी हैं, ज़िसका आधारभूत किसी भी व्यक्ति विशेष के बराबर होता है! मेरे नजरिये से देखिये इनकी अहमियत क्या है, चन्द पंक्तियो में बय़ां कर रहा हूँ -
सारे जहान की शान है ये,
एक अनोखी पहचान है ये,
ज़िन्हे समझते है लोग समाज का अधूरा हिस्सा,
मेरी नजर से देखिये आखिर इंसान है ये,
भेदभाव का दीमक चाट रहा मन को,
समझो इनके ह्रदय को हमारा सम्मान है ये,
कतराते हो इनसे नजरें मिलाने से,
अब तो मान लो हमारा गुमान है ये,
सारे ज़हान की शान है ये,
एक अनोखी पहचान है ये.........
किन्नर समुदाय को अन्य जाति समुदाय की तरह ही सम्मान क्यों नहीं दिया जाता है! सम्पूर्ण भारतवर्ष में 20 लाख से ज्यादा किन्नर समाज के लोग है, लेकिन निरंतर इनकी संख्या घटती जा रही है फिर भी ईश्वर की कृपा से इन्हे संतान मिल ही जाती है, ज़िसका लालन-पालन ये बहुत अच्छे ढंग से करते है! यदि संतान लड़की है तो उसके बालिग होने के बाद उसकी शादी परम्परिक तरीके से करा देते हैं! अौर यदि संतान लड़का है तो उसके बालिग होने के बाद अपनी य़ानी किन्नर समाज की परम्पराओं द्वारा उसे बिरादरी में शामिल कर लेते हैं! बहुत बड़ी ज्यात्ती है ईश्वर की किन्नरो पर की मनुष्य रूप में जन्म लेने के बाद भी अभिषापित जीवन जीने के लिये मजबूर हैं! इनके साथ जो एक समाज द्वारा घृणित भेदभाव किया जाता है उससे इनका मनोबल टूटता रहता है! अौर सबसे बड़ी परेशानी जीवन-य़ापन के लिये रोजगार का न होना है, ज़िसपर किसी सरकार का ध्यान नहीं जाता! समाज द्वारा इनके प्रति भेदभाव की जो परिस्थितियां पैदा की गयी हैं, वे सदैव के लिये खत्म होनी चाहिये! समयानुसार दुनिया भर में मनवाधिकार उल्लंघन अौर मानवाधिकारों की बदतर स्थिती की चर्चा की जाती है, लेकिन सभी प्रकार की सुविधाओं से वंचित अौर सारे समाज में भेदभाव व प्रताड़ना के शिकार किन्नर समाज पर किसी व्यक्ति विशेष या अन्य का ध्यान नहीं जाता, आखिर एेसा क्यों? क्या ये इंसान नहीं होते, क्या इनके सीने में दिल नहीं धड़कता, क्या इनमे भावुकता नहीं होती, क्या स्त्री-पुरूष की भांति किसी का सुख-दुख नहीं बांट सकते! अरे साहब समाज के ठेकेदारो ये सब कुछ कर सकते है जरा इनकी ओर अपना हाथ बढ़ाकर तो देखो, एक बार गले से लगाकर तो देखो, आदर-स्त्कार, मान- सम्मान देकर तो देखो घृणा की जगह प्यार तो करके देखो अपनी ज़ान तक न्योच्छावर कर देगें ये किन्नर! अजि इनकी दुआओं में वो दम होता है, ज़िसे एक बार दुआ दे दे वो जीवन में कभी दुखी नहीं हो सकता अौर यदि बददुआ दे दे तो नरक से बदतर जीवन हो जाता है! किन्नरो का इतिहास बड़ा ही अनोखा अौर दिलचस्प रहा है, कहा जाता है महाभारत के समय शिखंडी नामक किन्नर एक महान योद्धा था, ज़िसकी सहायता द्वारा अर्जुन ने भीष्मपितामह का वध किया था! अौर अर्जुन ने भी एक वर्ष अज्ञातवास में वृहन्नला नाम से किन्नर के रूप में समय व्यतीत किया था! मुगल शासन में भी किन्नरो को महाराजाओ व नबावो द्वारा अपने स्वार्थ के लिये महत्व दिया जाता था! लेकिन आज के दौर में किन्नरो को स्वार्थवश भी कहीं कोई महत्व नहीं दिया जाता है!जबकि राजनैतिक क्षेत्र में सन् 1994 में मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन.शोषन ने लैंगिक विकलांगो के मतदान करने के अधिकार को मंजूरी दे दी थी! जिस कारण किन्नर समाज के लिये राजनैतिक क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करना आसान हो गया अौर मतदाताओं की सूची में किन्नरो को स्त्री रूप में स्थान दिया गया! राजनैतिक क्षेत्र में पहली महिला किन्नर हिसार, हरयाणा की सोभा नेहरू सन् 1994 में नगर निगम चुनाव में पार्षद चुनी गयीं! इसी प्रकार से अब तक किन्नरो ने देश भर में कई उपलब्धियाँ हासिल की है, फिर भी समाज में न तो इनके बारे में कोई सोचता है अौर न ही समाज में रहने के बाद भी सभी स्त्री-पुरूष की भांति इन्हे सम्मान प्राप्त होता है! क्या इन्हे समाज में सम्मान के साथ रहने व जीवन जीने का अधिकार नहीं है, ऐसे अभिषापित जीवन को आखिर ये कब तक ज़िये , हम आप सभी के नजरिये व सोच में बदलाव की ज़रूरत है, फिर देखियेगा किन्नर समाज को सम्मान अौर खुशियां खुद ब खुद ही प्राप्त हो जायेगीं! मै आशा करता हूँ कि आप लोग भी किन्नरो के प्रति अपना व्यवहार , अपना नजरिया ज़रूर बदलेगे !
एक अनोखी पहचान है ये,
ज़िन्हे समझते है लोग समाज का अधूरा हिस्सा,
मेरी नजर से देखिये आखिर इंसान है ये,
भेदभाव का दीमक चाट रहा मन को,
समझो इनके ह्रदय को हमारा सम्मान है ये,
कतराते हो इनसे नजरें मिलाने से,
अब तो मान लो हमारा गुमान है ये,
सारे ज़हान की शान है ये,
एक अनोखी पहचान है ये.........
किन्नर समुदाय को अन्य जाति समुदाय की तरह ही सम्मान क्यों नहीं दिया जाता है! सम्पूर्ण भारतवर्ष में 20 लाख से ज्यादा किन्नर समाज के लोग है, लेकिन निरंतर इनकी संख्या घटती जा रही है फिर भी ईश्वर की कृपा से इन्हे संतान मिल ही जाती है, ज़िसका लालन-पालन ये बहुत अच्छे ढंग से करते है! यदि संतान लड़की है तो उसके बालिग होने के बाद उसकी शादी परम्परिक तरीके से करा देते हैं! अौर यदि संतान लड़का है तो उसके बालिग होने के बाद अपनी य़ानी किन्नर समाज की परम्पराओं द्वारा उसे बिरादरी में शामिल कर लेते हैं! बहुत बड़ी ज्यात्ती है ईश्वर की किन्नरो पर की मनुष्य रूप में जन्म लेने के बाद भी अभिषापित जीवन जीने के लिये मजबूर हैं! इनके साथ जो एक समाज द्वारा घृणित भेदभाव किया जाता है उससे इनका मनोबल टूटता रहता है! अौर सबसे बड़ी परेशानी जीवन-य़ापन के लिये रोजगार का न होना है, ज़िसपर किसी सरकार का ध्यान नहीं जाता! समाज द्वारा इनके प्रति भेदभाव की जो परिस्थितियां पैदा की गयी हैं, वे सदैव के लिये खत्म होनी चाहिये! समयानुसार दुनिया भर में मनवाधिकार उल्लंघन अौर मानवाधिकारों की बदतर स्थिती की चर्चा की जाती है, लेकिन सभी प्रकार की सुविधाओं से वंचित अौर सारे समाज में भेदभाव व प्रताड़ना के शिकार किन्नर समाज पर किसी व्यक्ति विशेष या अन्य का ध्यान नहीं जाता, आखिर एेसा क्यों? क्या ये इंसान नहीं होते, क्या इनके सीने में दिल नहीं धड़कता, क्या इनमे भावुकता नहीं होती, क्या स्त्री-पुरूष की भांति किसी का सुख-दुख नहीं बांट सकते! अरे साहब समाज के ठेकेदारो ये सब कुछ कर सकते है जरा इनकी ओर अपना हाथ बढ़ाकर तो देखो, एक बार गले से लगाकर तो देखो, आदर-स्त्कार, मान- सम्मान देकर तो देखो घृणा की जगह प्यार तो करके देखो अपनी ज़ान तक न्योच्छावर कर देगें ये किन्नर! अजि इनकी दुआओं में वो दम होता है, ज़िसे एक बार दुआ दे दे वो जीवन में कभी दुखी नहीं हो सकता अौर यदि बददुआ दे दे तो नरक से बदतर जीवन हो जाता है! किन्नरो का इतिहास बड़ा ही अनोखा अौर दिलचस्प रहा है, कहा जाता है महाभारत के समय शिखंडी नामक किन्नर एक महान योद्धा था, ज़िसकी सहायता द्वारा अर्जुन ने भीष्मपितामह का वध किया था! अौर अर्जुन ने भी एक वर्ष अज्ञातवास में वृहन्नला नाम से किन्नर के रूप में समय व्यतीत किया था! मुगल शासन में भी किन्नरो को महाराजाओ व नबावो द्वारा अपने स्वार्थ के लिये महत्व दिया जाता था! लेकिन आज के दौर में किन्नरो को स्वार्थवश भी कहीं कोई महत्व नहीं दिया जाता है!जबकि राजनैतिक क्षेत्र में सन् 1994 में मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन.शोषन ने लैंगिक विकलांगो के मतदान करने के अधिकार को मंजूरी दे दी थी! जिस कारण किन्नर समाज के लिये राजनैतिक क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करना आसान हो गया अौर मतदाताओं की सूची में किन्नरो को स्त्री रूप में स्थान दिया गया! राजनैतिक क्षेत्र में पहली महिला किन्नर हिसार, हरयाणा की सोभा नेहरू सन् 1994 में नगर निगम चुनाव में पार्षद चुनी गयीं! इसी प्रकार से अब तक किन्नरो ने देश भर में कई उपलब्धियाँ हासिल की है, फिर भी समाज में न तो इनके बारे में कोई सोचता है अौर न ही समाज में रहने के बाद भी सभी स्त्री-पुरूष की भांति इन्हे सम्मान प्राप्त होता है! क्या इन्हे समाज में सम्मान के साथ रहने व जीवन जीने का अधिकार नहीं है, ऐसे अभिषापित जीवन को आखिर ये कब तक ज़िये , हम आप सभी के नजरिये व सोच में बदलाव की ज़रूरत है, फिर देखियेगा किन्नर समाज को सम्मान अौर खुशियां खुद ब खुद ही प्राप्त हो जायेगीं! मै आशा करता हूँ कि आप लोग भी किन्नरो के प्रति अपना व्यवहार , अपना नजरिया ज़रूर बदलेगे !
-लेखक-
नरेन्द्र कुमार सिंह
12/06/2017
नरेन्द्र कुमार सिंह
12/06/2017
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