भू माफियाओं के तंत्र के आगे सरकारी तंत्र हुआ फेल
महराजगंज रायबरेली। भू माफियाआंे के आगे शासन प्रषासन तो क्या सरकार भी घुटने टेक चुकी है। कहने को तो भाजपा सरकार ने भू माफियाआंे पर नकेल कसने के लिए एन्टी भू माफिया का गठन किया है और सख्त आदेष देते हुए जल्द से जल्द सरकारी सुरक्षित भूमि पर अवैध कब्जों को हटाने के सख्त निर्देष दिये हैं। लेकिन भूमाफियाओं के तंत्र के आगे सरकारी तंत्र फेल हो चुका है। बताते चलें कि बावन बुजुर्ग बल्ला, पहरेमऊ, अषर्फाबाद, खैरहना, पहरावां आदि दर्जनों गांव में सरकारी जमीनों पर कब्जा करने की होड़ लगी हुयी है। इन भू माफियाओं का काकस इतना तगड़ा है कि इनके तिकड़म के आगे कोई भी सरकारी कानून या सरकारी तंत्र चल नही पा रहा है। बताते चलें कि बावन बुजुर्ग बल्ला गांव में महराजगज रायबरेली मार्ग के किनारे लगे वन विभाग की बेसकीमती भूमि पर भूमाफियों ने अपना कब्जा जमा रखा है। इस अवैध कब्जे के पीछे सरकारी तंत्र की लापरवाही ही जिम्मेदार है। जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा करोड़ो रूपये खर्च कर वन विभाग के लिए पौधषाला आदि का निर्माण व व्यस्था की गयी थी। उसी भूमि गाटा संख्या 4240मि, व 4245 पर लगभग 47 वर्ष पूर्व गांव के ही सुखलाल , मंषादीन, राधेष्याम, षिवरतन व रामसनेही को भी कृषि आबंटन के तहत पट्टा कर दिया गया। सरकारी तंत्र की इस चूक के कारण जब वन विभाग के कब्जे की भूमि में दिये गये पट्टे पर पट्टा धारकों को कब्जा न मिल सका तो 161 की कार्यवाही के तहत उन्हे 1984 में दूसरी जगह भूमि आबंटित कर दी गयी लेकिन सरकारी तंत्र व वन विभाग की लापरवाही के चलते उन्हे दूसरी भूमि तो आबंटित कर दी गयी लेकिन इस भूमि से न तो पट्टा धारकों का नाम खारिज किया गया और न ही वन विभाग के नाम अमलदरामद। फिर क्या था भूमाफियाओं का तंत्र संक्रिय हुआ और पट्टा धारकों से वन विभाग की भूमि को अपने नाम बैनामा करा अवैध कब्जे का खेल शुरू हो गया। इन भूमाफियाओं ने अपने तंत्र मंत्र का प्रयोग कर वन विभाग के कब्जे की भूमि पर अपना कब्जा स्थापित कर लिया जिसमें एक बार फिर कही न कही सरकारी तंत्र की लापरवाही या उदासीनता सामिल है। ग्रामीणों की माने तो वर्तमान समय में इस भूमि की कीमत करोड़ो रूपये है जिसका भरपूर लाभ भूमाफियाआंे को मिल रहा है और अब यह भूमाफियाआ अपने तंत्र मंत्र से कब्जा की गयी भूमि को बेच करोड़ो कमाने की फिराक में हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इसकी षिकायत उच्चाधिकारियों से कर चुके हैं लेकिन उच्चाधिकारियों के कानों में जूं तक नही रेग रही है वही वन विभाग आज भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है। यदि यही स्थिति रही तो वन विभाग का नामो निषान मिटने में अब ज्यादा समय नही है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से वन विभाग की जमीन से भूमाफियाओं के कब्जे को जल्द हटवाये जाने की मांग की गयी है।
जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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