*****बढ़ती गर्मी, गिरता जल स्तर, प्रशासन मौन******
मोहम्मदी-खीरी। गर्मी ने अपनी प्रचंड रूप मार्च मध्य से ही दिखाना शुरू कर दिये थे। अप्रैल शुरू होते ही तेज लू जैसी हवाओ बढ़ता तापमान एवं आग सी उगलता सूरज की तापिश से आम जन जीवन पर खासा प्रभाव सा पड़ता दिख रहा है। जल स्तर मे गिरावट अभी से ही महसूस की जाने लगी। तालाब सूख गये उनकी तलहटी तक चटकने लगी, नहरे सूखी जिसके चलते नहरो से सिंचाई हेाने वाली कृषि क्षेत्र पानी को लेकर खासा प्रभावित हेा रहा है। तालाब सूखे पड़े है। जिनको भरवाने की सुध न ग्राम प्रधानो को है और न स्थानीय प्रशासन एवं विकास विभाग को ही चिन्ता है। तालाब एवं पोखर सूखने से पशु-पक्षियो को अपनी प्यास बुझाने के लाले पडे है। सूख रहे तालाबो व सूखी नहरो के सम्बन्ध में स्थानीय प्रशासन जिला एवं प्रदेश प्रशासन को सूचित ही नही कर रहा। फल स्वरूप आरामगाहो में बन्द जिला प्रशासन, प्रदेश प्रशासन पूरी तरह अनभिग्य बना हुआ है।
गत वर्षो की अपेक्षा इस वर्ष गर्मी का प्रकोप माह मार्च मध्य से ही शुरू हो गया था। आग उगलता सूरज एवं तेज लू जैसी हवाओ ने जल स्तर को गिराना शुरू कर दिया है और आज अप्रैल का आधा माह भी नही हो पाया था कि जल स्तर गिरने लगा। नलकूपो की धार की तेजी में कमी आयी तो घरो में लगे नलो ने भी पानी उगलना कम कर दिया। क्षेत्र के तालाब अभी से सूखने लगे तो मई-जून क्या स्थिति होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। नहर काफी समय से सूखी पड़ी है गोमती नदी पानी विहीन हो नदी से छोटे नाले का रूप धारण कर चुकी है। गांवो में अधिकांश तालाबो पर कब्जे हो चुके है जो बचे है वह सूख गये है। मोहम्मदी तहसील के सैकड़ो तालाबो को बसपा शासन काल में करोड़ो रूपया खर्च कर माण्डल तालाबो के रूप में खुदाई के साथ-साथ उनका सौन्दर्यीकरण कराया गया था। तालाब भरने के लिये बोरिंग करायी गयी थी। प्रदेश की सत्ता परिवर्तन के बाद आयी सपा सरकार ने इन माण्डल तालाबो को भुला दिया जिन पर सरकार ने करोड़ो की राशि खर्च की थी। परिणाम स्वरूप यह माण्डल तालाब ही नही सारे तालाब, पोखर सूख गये है कुछ तालाबो की धरती ककडी की भाति चटक सी गयी है। जिस कारण गांवो में पशुओ एवं पक्षियो के सामने गम्भीर पेयजल संकट पैदा हो गया है। निरन्तर गिरते जल स्तर पर जानकारो का कहना है कि जल संरक्षण के प्रयास किसी भी स्तर पर नही किये जा रहे है। वाटर हरवोस्टिग योजना केा हर स्तर पर चलाई जानी चाहिये। नगर कस्बो एवं गांवो में जिस प्रकार शौचालय निर्माण पर ध्यान दिया जा रहा है। सरकार गांव-गांव, घर-घर में हर गांव में वाटर हरवेस्टिग विधि का प्रयोग अनिवार्य कर दिया जाये। नगर कस्बो में पालिका के द्वारा नालियो के संगम पर बड़े नालो, जल भराव वाले स्थानो पर वाटर हरर्वोस्टिग सिस्टम ग्राम छेड़ीपुर के बोरिंग टेक्नीशियन रजा हुसैन के देसी एवं सस्ते में बनने वाले जब तक नही बनेगे पानी नीचे धरातल में वापस नही भेजा जायेगा साथ ही पंजाब प्रान्त की भाति यहां भी साठा धान एवं प्रेशन बोरिंग सिस्टम पर सख्ती के साथ पूरी तरह पाबन्दी नही लगेगी तब तक यह जल संकट खत्म नही होगा। अभी से जल संकट हो जाने से ग्रामीण क्षेत्र में पशु पक्षियो के सामने गहरा पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है। इन सूख चले तालाबो को पानी से भरा जाना चाहिये, सूखे जैसी बन रही स्थिति से स्थानीय प्रशासन को शासन प्रशासन को रिपोर्ट भेजकर अवगत कराना चाहिये ताकि शासन स्तर से सूखी नहरो को भरने तालाबो पोखरो की सफाई कराकर उनमें पानी भरवाने की व्यवस्था की जाये। जल स्तर गिरने से क्षेत्र का मत्स्य पालन कारोबार भी पिछले कई वर्षो से खासा प्रभाविभत हो रहा है। समय रहते शासन और सरकार न चेता तो उत्तर प्रदेश में भी पंजाब की भाति गम्भीर जल संकट पैदा हो जायेगा।
दिनेश सिंह सोमवंशी
ब्यूरो चीफ लखीमपुर
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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