शाहजहाँपुर। जिला गन्ना अधिकारी खुशीराम ने बताया कि बसन्त कालीन गन्ना बुवाई में उचित दरों एवं उन्नतशील बीज का चयन कर अधिक पैदावार की जा सकती है। जनपद के कृषकों को उन्नतशील बीज उपलब्ध कराने हेतु 234.73 हेक्टेयर में प्राथमिक पौधशालायें स्थापित हैं जिसमें लगभग 1.40 लाख कु0 बीज उपलब्ध होगा। इसमें मुख्य रूप से अगेती प्रजाति में कोषा 08272, सीओ-0238, सीओ-0118 व मध्य देर से पकने वाली प्रजातियों में कोषा 8279, कोषे 08452 का बीज उपलब्ध है। बीज प्राप्त करने के लिए किसान भाई गन्ना विकास परिषद रोजा, तिलहर, निगोही एवं पुवायाँ से सम्पर्क कर उन्नतषील प्रजाति का बीज प्राप्त कर सकते हैं।उन्होंने बताया कि इस वर्ष जनपद को बसन्त कालीन बुवाई हेतु 13800 हेक्टेयर से ट्रेंच विधि से सह फसली खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गन्ने के साथ दलहनी एवं तिलहनी फसलों की खेती करने पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अन्र्तगत किसान भाईयों को 9000/- रूपये प्रति हेक्टेयर अनुदान भी दिया जायेगा, जिसके लिए उन्हें गन्ना विकास विभाग की वेबसाइट पर आॅनलाइन पंजीकरण कराना होगा। बसन्त कालीन गन्ने के साथ में दलहनी फसलों में मुख्य रूप से उर्द, मूँग, लोविया आदि की खेती की जा सकती है। दलहनी फसलों को गन्ने के साथ बोने से उर्द, मूँग, लोविया आदि की खेती की जा सकती है। दलहनी फसलों को गन्ने के साथ बोने से किसानों की आमदनी तो बढ़ती ही है साथ में मृदा की उत्पादकता, जल धारण क्षमता एवं मृदा की भौतिक दशा में भी सुधार होता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु विशेष जानकारी करने के लिए अपनी जोन के ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक अथवा सर्किल के गन्ना पर्यवेक्षक से सम्पर्क कर सकते हैं। गन्ने का बीज हमेशा कवकनाशी (वाबिस्टीन) से उपचारित कर तीन फिट की दूरी पर ट्रेंच विधि से गन्ना बुवाई से बुवाई करनी चाहिए। हमेशा दो आँख के टुकड़े का ही प्रयोग करें, ऐसा करने से जमाव ठीक होता है तथा पैदावार अच्छी होती है। ट्रेंच विधि से गन्ना बुवाई करने में पानी की बचत होती है तथा मिट्टी चढ़ाने, निराई, गुड़ाई आदि समस्त क्रियायें भी आसानी से की जा सकती हैं।
गौरव शुक्ला ब्यूरो चीफ शाहजहाँपुर
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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