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Monday, August 30, 2021

जरूरत पड़ने पर पड़ोसियों की जमीन पर भी हमला करने से नहीं हिचकेगा भारत: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली  (पी एम ए) केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा है कि दोनों देशों के बीच संघर्षविराम आज सिर्फ हमारी ताकत के कारण कामयाब हुआ है. उन्होंने कहा कि साल 2016 में सीमा पार से किए गए हमलों ने हमारी मानसिकता को बदल दिया और इसके बाद 2019 में बालाकोट हवाई हमले से इसे और मजबूती मिली है। रक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत जरूरत पड़ने पर अपने विरोधियों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने से भी नहीं हिचकेगा. राजनाथ सिंह ने ये बातें तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में कही. इस मौके पर उन्होंने ये भी कहा कि भारत सीमा पर चुनौतियों के बावजूद, देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। राजनाथ सिंह ने कहा, दो युद्ध हारने के बाद, हमारे एक पड़ोसी देश (पाकिस्तान) ने एक प्रॉक्सी वार शुरू किया है और आतंकवाद उसकी नीति का एक केंद्रीय हिस्सा बन गया है. ये हथियार, फंड और आतंकवादियों को प्रशिक्षण देकर भारत को निशाना बना रहा है. सीमा पर चुनौतियों के बावजूद आम आदमी को भरोसा है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. ये विश्वास धीरे-धीरे मजबूत होता गया कि भारत न केवल अपनी जमीन पर आतंक का अंत करेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर पड़ोसियों की जमीन पर भी हमला करने से भी नहीं हिचकेगा। अफगानिस्तान के ताज़ा हालात पर रक्षा मंत्री ने कहा, अफगानिस्तान में बदलते समीकरण इसका एक ताजा और महत्वपूर्ण उदाहरण हैं. इन परिस्थितियों ने आज हर एक देश को अपनी रणनीति पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. QUAD को इन बातों को ध्यान रख कर गठित किया गया है. उन्होंने ये भी कहा कि दुश्मनों के खिलाफ एकीकृत होकर युद्ध करने के लिए नए ग्रुप होंगे. इनमें नए युग के अनुसार अत्यंत घातक, ब्रिगेड के आकार के फुर्तीले और आत्मनिर्भर लड़ाकू बनाए जाएंगे। रक्षा मंत्रालय राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई बदलाव भी करेगा. राजनाथ सिंह ने कहा, तेजी से बदलते हुए अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए हमने अपनी सुरक्षा नीतियों में न सिर्फ तात्कालिक, बल्कि भविष्य को देखते हुए बदलाव किए हैं. 15 अगस्त 2019 को CDS नियुक्त करने की घोषणा के साथ, ये स्पष्ट रूप से संकेत दिया गया था कि अतीत में कठोर निर्णय लेने की जो झिझक थी, वो अब बीते दिन की बात हो गयी है।

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