आरटीओ ऑफिस में खुलेआम हो रहा भ्रष्टाचार साथ ही साथ बाबू और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी कर रहे मनमानी
एटा।। जनपद के ए आर टी ओ ऑफिस पर कार्यरत विश्वनाथ सिंह जोके मूलरूप पर जनपद मैनपुरी के निवासी हैं जनपद एटा के एआरटीओ ऑफिस पर विश्वनाथ के पिताजी चौकीदार के पद पर कार्यरत है जिंदगी मृत्यु हो गई उसके बाद मृतक आश्रित में विश्वनाथ सिंह की तैनाती हो गई विश्वनाथ सिंह को पिताजी की तरह चौकीदार की पोस्ट पर ही नियुक्ति मिली परन्तु कुछ समय बाद विश्वनाथ सिंह का प्रमोशन हो गया और एआरटीओ परिवर्तन के साथ चलने वाले सिपाही के रूप में तैनाती मिली लगभग 6 माह तक लखनऊ मुख्यालय में नौकरी की उसके बाद पुनः एटा जनपद में ट्रांसफर करा लाए और वही सिपाही विश्वनाथ जी आजकल जो कार्य टेक्निकल का होता है वो कर रहे हैं गाड़ी की फिटनेस का काम उक्त सिपाही विश्वनाथ सिंह एआरटीओ लक्ष्मण प्रसाद की मेहरबानी से देख रहे हैं और खूब कमा रहे हैं और लक्ष्मण प्रसाद को भी खूब रुपया पैदा करा रहे हैं एआरटीओ महोदय लक्ष्मण प्रसाद तो हद ही कर दी है एआरटीओ ऑफिस में पड़े छापे के दौरान पकड़े गए दिनेश यादव जो जेल जा चुके उनको दोबारा एआरटीओ ऑफिस में बुला लिया एआरटीओ प्रशासन के विपरीत कार्य कर रहे हैं ऐसा क्यों ,क्या ऐसा कोई नियम है यह चतुर्थ श्रेणी का आदमी टेक्निकल काम कर सकता है क्या इसको कोई ट्रेनिंग दी गई है अगर ऐसा नहीं है तो किसके आदेश पर यह कार्य कर रहा है । इसी तरीके से ट्रांसफर गाड़ियों के होते हैं उनका कार्य विश्वनाथ सिंह और प्राइवेट बाबू पप्पू यादव कर रहे हैं जबकि तीन नए बाबू ट्रांसफर होकर आ चुके हैं उन्हें सीट क्यों नहीं दी गई इसका कारण है प्राइवेट बाबू खूब कमा कर देते हैं इसलिए सरकारी बाबुओं को सीट नहीं आ रही है यह बाबू जब से आए हैं सीट न मिलने के कारण छुट्टी पर चले गए क्या ऐसा कोई नियम है। प्राइवेट बाबुओं के काम कराया जाए और सरकारी बाबुओं को छुट्टी दे दी जाए अगर ऐसा नहीं है तो तत्काल सभी विषयों की जांच कराई होनी चाहिए यह काफी गंभीर विषय हैं उक्त प्रकरण की जांच होना अत्यंत आवश्यक है आप अपनी गाड़ी एआरटीओ ऑफिसर मत ले जाइए चाहे ट्रांसफर कराएं है चाहे फिटनेस कराएं रेडियम पट्टी लगी हो या ना लगी हो गाड़ी के ब्रेक सही हो या न सही हो विश्वनाथ भाई का इतना जलवा है नाम से काम होता है पर यहां ऐसा नहीं है यहां दाम से कम होता है प्राइवेट बाबू पप्पू यादव और विश्वनाथ इन सभी के द्वारा एआरटीओ ऑफिस चलाया जा रहा है और लक्ष्मण प्रसाद जी आराम से मौज ले रहे हैं जब चाहते हैं तब कार्यालय में आते हैं नहीं तो होटल में पड़े रहते हैं काम तो बाबू संभालते हैं पूरे हफ्ते में 3 दिन से ज्यादा लक्ष्मण प्रसाद जी ऑफिस में नहीं रखते हैं इन तथ्यों की जांच होना अत्यंत जरुरी है और एआरटीओ पर तो आय से अधिक संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए क्योंकि जो आदमी 3000 रूपय प्रतिदिन का कमरा लेकर रहता हो तो आप अंदाजा लगाइए वह आदमी कितना कमाता होगा।
कश्मीर सिंह मंडल संवाददाता आगरा
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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