शाहजहाँपुर।। आपको जानकर हैरानी होगी की सबका साथ सबका विकाश और सबका विश्वास का दावा करने वाली देश की सरकार मदरसा आधुनिकीकरण योजना में कार्यरत उत्तर प्रदेश के लगभग 25 हजार आधुनिकीकरण शिक्षकों को पिछले 48 माह से वेतन नहीं दे रही है ।आपको बताते चलें की देश की दूसरी बङी आबादी को संविधान ने अपने कला संस्कृति और शिक्षा का प्रचार प्रसार करने का हक दिया है इसी आधार पर भारत सरकार ने 1993 में देश के हर बच्चे को आधुनिक विषयों जैसे हिंदी अंग्रेजी गणित विज्ञान सामाजिक विषय व कम्प्यूटर आदि की शिक्षा से जोङने हेतु मदरसा आधुनिकीकरण योजना की शुरुआत की जिसका उद्देश्य है की हर भारतीय को वो चाहे अल्पसंख्यक समाज हो या वहु संख्यक समाज के हर बच्चे को गुणवत्ता परक शिक्षा मिल सके जिससे वह देश का बेहतरीन नागरिक बन अपना जीवन यापन कर अपने आपको देश की मुख्य धारा में शामिल कर देश के विकास में सहयोगी बन सके । योजना ने अपने लक्ष्य को लगातार उन्नति कर अल्पसंख्यक समाज को जिम्मेदार बनाया ।देश के 17 राज्यों तक योजना ने अपना विस्तार किया और लगातार आशातीत सफलता अर्जित कर अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर आगे बढ़ती जा रही है ।एस पी क्यू ई एम योजना लगातार चली और भविष्य में लगातार चलेगी क्योंकि कई सरकार आयीं और चली गयीं लेकिन देश की सबसे महत्वपूर्ण मदरसा आधुनिकीकरण योजना का हाल इन पिछले 25 सालों में नहीं बदल सका । यदि उत्तर प्रदेश की ही बात की जाये तो आपको बता दें की यहाँ अब तक 9 हजार मदरसों को मदरसा आधुनिकीकरण योजना में आच्छादित किया गया है जिसको लाट वाइस पास किया जिसका क्रम 1446, 2108, 849, 1891, 456,273,672 व1506 है जिसमें लगभग 25 हजार आधुनिकीकरण शिक्षक 10 लाख गरीब मजलूम छूटे हुए बच्चों को आधुनिक विषयों जैसे हिंदी अंग्रेजी गणित विज्ञान सामाजिक विषय व कम्प्यूटर आदि की शिक्षा प्रदान करते आ रहे हैं ।उक्त सभी मदरसे भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से पास किये गये हैं जिसकी गाइड लाइन के अनुसार मदरसे में शिक्षण कार्य कर रहे हर आधुनिकीकरण शिक्षक को योग्यता के अनुसार स्नातक को 6 हजार रूपये प्रति माह व परास्नातक व परास्नातक + बी एड को 12 हजार रूपये प्रति माह वेतन भुगतान किया जायेगा ।किन्तु यह विडम्बना ही है की लगातार शिक्षण कार्य कर रहे उक्त 25 हजार आधुनिकीकरण शिक्षकों को पिछले अनेक वर्षो से वेतन भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण अब तक 32 आधुनिकीकरण शिक्षकों ने अप्राकृतिक मौत को गले लगा लिया है जिसकी जिम्मेदार सरकार की फीताशाही और सरकार की लेट लतीफी है । गैर जिम्मेदार तरीका अपनाने वाली सरकार को सोचना होगा की विना वेतन दिये आप गुणवत्ता परक शिक्षा का अटल सरकार का सपना कभी पूरा नहीं कर सकते ।नेशनल मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नफ़ीस पाशा ने बताया की भारत सरकार जानबूझकर 25 हजार आधुनिकीकरण शिक्षकों को वेतन नहीं दे रही है जबकी सरकार से लगातार नमास ने डॉयलाग किया है ।पिछले लोकसभा शेशन में ही पाँच साँसदों जिसमें डाक्टर एस टी हसन साँसद मुरादाबाद, कुंवर दानिश अली साँसद अमरोहा , रितेश पाण्डेय साँसद अम्बेडकर नगर, संगीता आजाद साँसद लालगंज आजमगढ़ व डा0 शफीकुर रहमान वर्क साँसद संभल ने आधुनिकीकरण शिक्षकों की आवाज बन इस सरकार से देश के सर्वोच्च पटल यानी लोक सभा में वेतन की मांग की है लेकिन इसके बाद भी यह सरकार वेतन नहीं दे रही है ।यह हर आधुनिकीकरण शिक्षक के मौलिक अधिकारों का हनन है जो हम बरदास्त नहीं करेंगें ।हम ने सरकार को जगाने हेतु जनपद से लेकर राजधानी तक आन्दोलन किये हैं और लगातार करते रहेंगे क्योंकि वेतन भीख नहीं हमारा हक है ।
गौरव शुक्ला ब्यूरो चीफ शाहजहाँपुर
अक्रॉस टाइम्स हिन्दी समाचार पत्र
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