कानपुर । आज से अपने शुधी पाठको की उत्कंठा समन के लिए पर्यटन को लेकर फिलहाल कथा को सिरियलाइज करते हुआ सबके पहले मध्यप्रदेश और उत्तर-प्रदेश दो प्रान्तों मे बसे इस पौराणिक नगरी को और अधिक पवित्र करती है तीन नदिया यू तो भारत देश की धरा पर अनगिनत दार्शनिक एतिहासिक एवं पौराणिक स्थल है उन मे चित्रकूट की बात कुछ और है सवाल जब स्थान के महत्व का उठा है तो एक अनपम चौपाई का जिक्र न किया जाए तो कथा और जानकारी अधूरी रह जाता है" चित्रकूट के घाट पर लगी संतान की भीड तुलसीदास चन्द घिसे तिलक देत रघुवीर" तुलसीदास जिन्हे महाकवि की उपाधि से सम्मानित किया ने ही मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु राम के मस्तक पर तिलक लगता सन्मानित किया था इसे पहले तीन नदियो का फिक्र आया है तो वे पवित्र न दिये पयस्वनी,मन्दाकिनी,और सरस्वती हत्या गया है शास्त्र कहते है कि सरस्वती की धारा मे स्नान मात्र से मनुष्य द्वारा किया ग ए घोर पापी का नाश हो जाता है तो मन्दाकिनी नदी के स्पर्ष मात्र से पापी का भक्षण कर देती है खास बात यह है कि पयस्वनी और सरस्वती यहा गुप्त रूप से भग्तो को वर प्रदान करती है चित्रकूट धाम का अधिकतर भाग मध्य प्रदेश के सतना डिस्ट्रिक्ट मे पडता सवाल आवागमन का तो यहा दिल्ली कानपुर वाराणसी जबलपुर दूरस्थ जाने वाली ट्रेन चित्रकूट रेलवे स्टेशन से मिल जाती है अलाव् रोडवेज एव प्राइवेट बसने भी मिल जाती है।
मधुकर राव मोघे मंडल ब्यूरो कानपुर
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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