कश्मीर सिंह मण्डल संवाददाता आगरा
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
फिरोजाबाद।। अपने पति की लम्बी आयु और सलामती के लिये सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रहती हैं। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जायेगा करवा चौथ व्रत को करक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार 17 अक्टूबर 2019, वृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। वर्षों पुरानी परम्परा के अनुसार व्रत में महिलाएं सुबह सवेरे उठकर सास के द्वारा दी गई सरगी खाती है। सरगी की थाली में फल, ड्राई फ्रूट्स, मट्ठी, फैनी, साड़ी और ज्वैलरी होती है। सूर्योदय से पहले इसे खाने के बाद पूरे दिन कुछ नहीं खाया जाता है। महिलाएं रात को चांद देख विधि विधान से पूजन करती हैं और अर्ध्य देकर व्रत खोलती है। सम्पूर्ण भारत वर्ष में यह त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व अन्य स्थानों पर इस दिन कुछ अलग ही नजारा होता है। इस वर्ष करवा चौथ पूजन का समय सायं 05:46 से रात 07:02 बजे तक रहेगा। अर्घ्य 8 बजे के बाद तथा करवा चौथ चंद्रोदय का समय सायंकाल 8:16 के बाद रहेगा।
सामाजिक कार्यकर्ताओं के विचार:
समाजनिष्ठ राष्ट्रवादी चिंतक अरविंद बंसल गगन का कहना है कि यह पर्व माता पार्वती की पूजा आराधना, उपासना और वन्दन करने का दिन है क्योंकि शंकर भगवान अजन्में हैं, स्वंयभू हैं और अजन्मे होने के कारण से माता पार्वती अखण्ड सौभाग्यवती हैं। ऐसी अखण्ड सौभाग्यवती माता पार्वती की पूजा अर्चना पुष्प वाटिका में जनक नन्दिनी ने भी गिरजा माता के रूप में की है। इसी परंपरा को निभाते हुए समस्त हिंदू नारी करवा चौथ के दिन व्रत - उपवास के साथ अपने पति के यशस्वी जीवन के लिए माता पार्वती से आशीष मांगती हैं क्योंकि पति की कुशलता में ही परिवार व समाज का कल्याण होता है।
भारतीय महिला बाल जन कल्याण समिति की सचिव माया जैन का कहना है कि करवा चौथ का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस दिन महिलाएं बिना कुछ खाए-पिए निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं।
रश्मि पोरवाल का कहना है कि करवा चौथ सुहागनों का सबसे बड़ा त्यौहार है। विवाहित महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपने पति की लम्बी आयु और अखंड सुहाग के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं और करवा व चांद का पूजन कर अपने पति के लम्बी आयु की ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।
गृहणी नीरज देवी का कहना है कि करवा चौथ का व्रत अपने पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा अर्चना की जाती है।
दिव्य व्रत से जुड़े नियम और सावधानियां
* केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं।
* व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े कतई नहीं पहनने चाहिए।
* करवा चौथ के दिन लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है।
* करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है।
* ये व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए।
* इस दिन पूर्ण श्रृंगार और अच्छा भोजन करना चाहिए।
* पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति भी ये व्रत रख सकते हैं।