उन्नाव। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि राई सरसों. माहू एवं पत्ती सुरंगक कीट के नियंत्रण हेतु एजाडिरेक्टीन 0.15 प्रतिशत ई0सी0 की 2.5 लीटर मात्रा को 500.600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। रसायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई0सी0 अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 की 1.0 लीटर मात्रा को 600.750 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गेरूई एव तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.0 किग्रा अथवा मेटालैक्सिल 8 प्रतिशत मैंकोजेब 64 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.5 किग्रा मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 600.750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि चना/मटर.फली बेधक एवं सेमीलूपर कीट के नियंत्रण हेतु खेतों में बर्ड पर्चर लगाना चाहिए। बी0टी0 1.0 किग्रा0 अथवा एन0पी0वी 2 प्रतिशत ए0एस0 250-300 एल0ई0 प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 250-300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए अथवा एजाडिरेक्टीन 0.03 प्रतिशत डब्लू0एस0पी0 2.5-3.0 किग्रा0 मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। पत्ती धब्बा एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.0 किग्रा0 अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत की 3.0 किग्रा मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। बुकनी रोग के नियंत्रण हेतु घुलनशील गधंक 80 प्रतिशत 2.0 किग्रा अथवा टाªइडेमेफान 25 प्रतिशत डब्लू0पी0 250 ग्राम 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। आलू. आलू में अगेती एवं पछेती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु जिनेब 75 प्रतिश्त डब्लू0पी0 2.0 किग्रा0 अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.5 किग्रा0 की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500.600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मक्का-फाल आर्मी वर्म के नियंत्रण हेतु अण्ड परजीवी जैसे ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम अथवा टेलीनोमस रेमस के 50000 अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से इनकी संख्या की बढोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है। यांत्रिक विधि के तौर पर साँयकाल (7 से 9 बजे तक) में 8 से 10 प्रकाश प्रपंच प्रति हेक्टेयर की दर से लगाना चाहिए। 15 से 20 बर्ड पर्चर प्रति हेक्टेयर लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। 35-40 फेरोमोन टेेªªप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। 5 प्रतिशत पौध तथा 10 प्रतिशत गोभ क्षति की अवस्था में कीट नियंत्रण हेतु एन0पी0वी0 250 एल0ई0 अथवा मेटाराइजियम एनिप्सोली 5 ग्रााम प्रति लीटर अथवा बैसिलस थुरिनजैनसिस 2 ग्रााम प्रति लीटर की दर से प्रयोग करना लाभकारी होता है। इस अवस्था में नीम आँयल 5 मिली0 प्रति लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करने से भी कीटों की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। 10.20 प्रतिशत संक्रमण की स्थिति में रासायनिक नियंत्रण प्रभावी होता है। इस हेतु क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एस0सी0 0.4 मिली0 प्रति लीटर पानी अथवा इमामेक्टिन बेनजोइट 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी अथवा स्पाइनोसैड 0.3 मिली0 प्रति लीटर पानी अथवा थायामेथाक्साँम 12.6 प्रतिशत लैम्ब्डासाइहैलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत 0.5 मिली0 प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि उपरोक्त सुझाव एवं संस्तुतियों को कृषक गोष्ठियों, बैठकों, समाचार पत्रों आदि के माध्यम से कृषकों को जागरूक करें। साथ ही नियमित रूप से कीट/रोग सर्वेक्षण कार्य करते हुए कृषकों को संस्तुत कृषि रक्षा रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित करायें।
रिपोर्ट : कुंदन कुमार
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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