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Monday, February 22, 2021

बचत समूह की महिलाओं को चाइल्डलाइन की सेवाओं के प्रति किया जागरूक

कानपुर । चाइल्डलाइन कानपुर द्वारा नगर में जनसामान्य को बाल शोषण के प्रति सक्रिय करने के उददेश्य से नगर के विभिन्न स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर बाल शोषण के प्रति जागरूक करने व बाल शोषण की घटनाओं की जानकारी चाइल्डलाइन कानपुर कांे देने के उददेश्य से समय समय पर विभिन्न स्थनों पर जागरूकता काय्र्रकमों का आयोजन किया जाता रहता है जिस क्रम में आज प्रगति सेवा संस्थान विजय नगर कानपुर की महिलाओं के साथ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बच्चों को बाल शोषण के प्रति जागरूक करने के उददेश्य सेे जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया क्योंकि बाल शोषण के मामलों को खत्म तभी किया जा सकता है जब जनसामान्य बाल शोषण के खिलाफ जागरूक होगें। जिस क्रम में आज चाइल्डलाइन कानपुर द्वारा बच्चों को बाल शोषण ,व बाल मजदूरी कराने वालों के खिलाफ कार्यवाही कराने के बारे में जागरूक करने हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। चाइल्डलाइन के समन्वयक प्रतीक धवन ने बच्चों को बताया कि बच्चों के शोषण के मामलों में ऐसे अराजक तत्व पहले बच्चों पर भरोसा बनाते है इसके बाद उनके साथ शोषण करते है इसलिए यदि बच्चों के पास कोई अंजान व्यक्ति उनसे पहचान बनाने की कोशिश करें तो सर्वप्रथम हमें अपने आसपास किसी बडे को बताना चाहिए और यदि सदिंग्ध हो तो उनके खिलाफ सूचना चाइल्डलाइन के निशुल्क न0 1098 व पुलिस को देनी चाहिए। कार्य्रकम कें दौरान प्रगति सेवा संस्थान सुजातगंज कानपुर नगर की महिलाओं को चाइल्डलाइन कार्यकर्ता आलोंक चन्द्र वाजपेयी ने चाइल्डलाइन के निशुल्क नम्बर 1098 के बारे में अवगत कराया गया। साथ ही देश के 400 से अधिक शहरों में चाइल्डलाइन द्वारा चलायी जा रही बच्चों की अकास्मिक हेल्पलाइन एवं उसके टोल फ्री नम्बर 1098 की उपयोगिता एवं उसके द्वारा हजारों बच्चों को प्रतिदिन मिलने वाले संरक्षण के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में उड़ान सेवा संस्थान सुजातगंज कानपुर नगर की बचत समूह की महिलाओं को चाइल्डलाइन व बाल अधिकारों की जानकारी दी गई जिसमें लगभग 35 से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया।साथ ही उन्होने बताया कि चाइल्डलाइन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा चलायी जाने वाली देश की सबसे बड़ी हेल्पलाइन है। उन्होनंे बताया कि यदि समाज में किसी भी व्यक्ति को कोई बच्चा भूला भटका, घायल अवस्था में या ऐसा बच्चा जो कि अपनी पारिवारिक स्थितियों के कारण शिक्षा एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं को नही प्राप्त कर पा रहा है। इन सभी दशाओं में उक्त बच्चांे की मदद करने हेतुु हमें चाहिए कि हम किसी भी फोन से 1098 डायल करके ऐसे बच्चों की सूचना नजदीकी चाइल्डलाइन में कार्यरत स्ंवयसेवकों को दे ताकि यह स्वंयसेवक इन बच्चों की उचित मदद कर सके। चाइल्डलाइन कानपुर के निदेशक कमलकान्त तिवारी ने बताया कि यदि हम जागरूक होगंे तो बच्चों के शोषण के मामलों में कमी आयेगी और हम बच्चों की सुरक्षा के लिए पहल कर सकेंगे जिसमें चाइल्डलाइन उनकी मदद के लिए निरन्तर प्रयासरत रहेगी और चाइल्डलाइन से जुड़कर जरूरतमंद बच्चों की मदद में सक्रिय स्वंयसेवक बनेंगे और चाइल्डलाइन को जरूरतमंद बच्चों कीे सूचना 1098 पर देंगे। कार्य्रकम के दौरान मुख्य रूप से प्रगति सेवा संस्थान की अध्यक्ष कल्पना सिंह, प्रेमा, सपना द्विवेदी, प्रेमजीत, रश्मि द्विवेदी, पूनम, नाजरीन सहित प्रगति सेवा संस्थान की 25 से अधिक महिलाएं, चाइल्डलाइन कानपुर के निदेशक कमलकान्त तिवारी, समन्वयक प्रतीक धवन, आलोक चन्द्र वाजपेयी, शिवानी सोनवानी, अंजु वर्मा ,सोनाली धुसिया, शांतनु द्विवेदी आदि लोग उपस्थित रहे।      
रिपोर्ट : मधुकर राव मोघे 
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

Tuesday, February 16, 2021

फर्जी दस्तावेजों के साथ दस अभ्यर्थियों और फर्जी कागजात बनाने वाले 5 लोग दबोचे

आगरा।जनपद में सेना भर्ती के दूसरे दिन फर्जीबाड़े का मामला सामने आया है। आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज में चल रही सेना भर्ती रैली में सैंध लगाने की कोशिश की गई। फर्जी दस्तावेजों के साथ दस अभ्यर्थियों और फर्जी कागजात बनाने वाले 5 लोग दबोचे हैं। पुलिस ने सभी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरु कर दी है। आगरा में चल रही सेना भर्ती में फ़र्ज़ी दस्तावेजों से सेंध लगाने की कोशिश की गई। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भर्ती देखने आए 10 अभ्यर्थियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनमें से आठ ने शारीरिक परीक्षा दे दी थी, जबकि एक का फिजिकल होना बाकी था। वहीं एक का पंजीकरण नहीं हो पाया। पुलिस ने कोविड-19 की फर्जी रिपोर्ट बनाने वाले पांच आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है।एसएसपी बबलू कुमार ने बताया फर्जी दस्तावेजों के साथ लैपटॉप, स्कैनर व अन्य उपकरण बरामद किये हैं। सोमवार से शुरू हुई सेना भर्ती में हर दिन अलग-अलग जिलों के अभ्यर्थियों को बुलाया गया है। आरोपी अभ्यर्थियों ने कासगंज की भर्ती में शामिल होने का प्रयास किया। यह लोग फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवा कर लाए थे। इसके बाद फर्जी कोविड-19 रिपोर्ट भी बनवा रहे थे।अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज की जांच करने पर सेना को उनके फ़र्ज़ी होने का शक हुआ। पुलिस को सूचना देने पर उसने दस संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ। उनसे मिली जानकारी के बाद पुलिस ने फ़र्ज़ी दस्तावेज तैयार करने वाले आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।आरोपित कोविड 19 की फ़र्ज़ी रिपोर्ट बनाकर अभ्यर्थियों को दे रहे थे। पुलिस को आरोपियों के बारे में गोपनीय सूचना मिलने पर पुलिस ने कार्रवाई की। इससे पूर्व पुलिस ने आधा दर्जन संदिग्धों को सोमवार शाम को हिरासत में ले लिया था। इनसे देर रात तक पूछताछ चली। कुछ और लोगों के नाम सामने आए थे। भर्ती स्थल के बाहर कुछ लोग युवाओं को फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाकर भर्ती कराने का झांसा दे रहे थे। कुछ युवा इनके जाल में फंसकर फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवा चुके थे। पुलिस ने फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवाने वाले और बनाने वाले छह युवकों को पकड़ा। देर रात तक इनसे पूछताछ की गई।एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि फर्जी दस्ताबेज के साथ लवकुश, प्रदीप, कुलदीप, सनी, गौरव, विनीत, रोहित, सचिन, हितेश, जयप्रकाश को गिरफ्तार किया गया है। यह सभी आरोपी भर्ती देखने आए थे।बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर और हापुड़ के रहने वाले हैं। वहीं पुलिस ने कोविड-19 की फर्जी रिपोर्ट बनाने वाले शिव कुमार निवासी फर्रुखाबाद, सोनू खान, नवीन, फिरोज और मुनीर निवासी गांव अरसेना, थाना सिकंदरा को भी गिरफ्तार किया है। यह भर्ती स्थल के पास ही लैपटॉप और प्रिंटर की मदद से कोविड रिपोर्ट तैयार कर रहे थे। पुरानी रिपोर्ट को स्कैन करके नाम और पता बदलकर असली जैसा बना कर दे रहे थे। इससे अभ्यर्थियों को प्रवेश मिल रहा था।

रिपोर्ट : सोनू सिंह 
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

पति पर अवैध संबंध का झूठा आरोप तलाक का आधार : दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली, (पी एम ए)। किसी महिला से अवैध संबंध होने का झूठा आरोप लगाकर पति के चरित्र हनन का प्रयास उसका मानसिक उत्पीड़न है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए पत्नी द्वारा पति पर अवैध संबंध का झूठा आरोप लगाए जाने को तलाक को मंजूरी देने का प्रमुख आधार बताया। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने तलाक को मंजूरी देने के परिवार न्यायालय के फैसले के खिलाफ महिला की अपील खारिज कर दी है। पीठ ने कहा है कि, महिला ने न सिर्फ अपनी भाभी, बल्कि आसपास की अन्य महिलाओं के साथ भी पति का अवैध संबंध होने जैसे गंभीर आरोप लगाए लेकिन इन्हें साबित करने में वह पूरी तरह से नाकाम रही। न्यायालय ने कहा है कि इन आरोपों के बाद पति के बारे में हर कोई चर्चा करने लगा। न्यायालय ने कहा है कि महिला ने न सिर्फ आरोप लगाए बल्कि इन आरोपों को उसने अदालत में दाखिल हलफनामा में भी दोहराया। पीठ ने कहा है कि इस तरह के आरोप मानसिक उत्पीड़न हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि ऐसे में उत्पीड़न के आधार पर परिवार न्यायालय द्वारा तलाक को मंजूरी देने के फैसले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के फैसले के खिलाफ महिला की ओर से दाखिल अपील को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया।

* बार-बार खुदकुशी की धमकी मानसिक अत्याचार

परिवार न्यायालय ने पिछले साल पति की ओर से तलाक की मांग को लेकर दाखिल याचिका को स्वीकार कर लिया था। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए परिवार न्यायालय ने पति पर झूठे लांछन लगाने के अलावा महिला द्वारा बार-बार खुदकुशी करने की धमकी दिए जाने को भी पति पर मानसिक अत्याचार बताया है। इस फैसले के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। महिला ने अपील में कहा था कि परिवार न्यायालय ने उसके पक्ष को दरकिनार कर दिया।

* 10 साल पहले दाखिल हुआ था तलाक का मुकदमा

दरअसल, पत्नी पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पति की ओर से 2011 में तलाक की मांग को लेकर परिवार न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया गया था। पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी अपनी भाभी व अन्य महिलाओं से अवैध संबंध होने के झूठे आरोप लगाकर उसका मानसिक उत्पीड़न कर रही है। साथ ही आरोप लगाया था कि वह बार-बार खुदकुशी करने की धमकी दे रही है। पति ने हिन्दू विवाह कानून के तहत तलाक को मंजूरी देने की मांग की थी। हालांकि महिला ने अदालत में इन आरोपों को बेबुनियाद बताया था।

साभार पीएमए न्यूज़ एजसी

नाबालिक छात्रा के साथ दुष्कर्म मामले में प्रिंसिपल को फांसी, शिक्षक को आजीवन कारावास

पटना (पी एम ए)।स्कूल में ही 11 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सोमवार को पटना सिविल कोर्ट के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह पॉक्सो जज अवधेश कुमार ने दोनों आरोपितों, प्रिंसिपल अरविंद कुमार को फांसी और शिक्षक अभिषेक कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। महिला थाने में करीब ढाई साल पहले दर्ज मामले में अदालत ने फुलवारीशरीफ के रहने वाले प्रिंसिपल पर एक लाख रुपये एवं शिक्षक पर 50 हजार रुपये आॢथक जुर्माना भी लगाया है। फैसले के बाद पीडि़ता की मां ने कहा कि न्यायालय ने सुकून देने वाला फैसला सुनाया है। ढाई साल से पूरा परिवार घुट-घुटकर जीने को विवश था। दोषियों ने शिक्षक-विद्यार्थी के रिश्ते को कलंकित किया है। 

* कॉपी चेक करने के बहाने होता था घिनौना काम

इस मामले में 19 सिंतबर 2018 को महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। आरोपित अरविंद कुमार फुलवारीशरीफ स्थित न्यू सेंट्रल पब्लिक स्कूल का प्रिंसिपल और अभिषेक कुमार शिक्षक था। विशेष लोक अभियोजक सुरेश चंद्र प्रसाद ने बताया कि शिक्षक अभिषेक कुमार स्कूल में कॉपी चेक करने के बहाने छात्रा को प्रिंसिपल अरविंद कुमार के पास भेजता था। इस दौरान प्रिंसिपल कमरे में उसके कम नंबर आने पर फेल करने की धमकी देकर घिनौना कृत्य करता था। इसमें अभिषेक भी उसका साथ देता था। पटना के फुलवारीशरीफ के रहने वाले दोनों आरोपितों के खिलाफ महिला थाने में पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया गया था। 

* अदालत के आदेश पर कराया गया था डीएनए टेस्ट

दुष्कर्म के बाद नाबालिग छात्रा गर्भवती हो गई थी। अदालत के आदेश के बाद गर्भपात कराया गया। आरोप साबित करने को कोर्ट के आदेश से जेल में बंद दोनों आरोपितों का ब्लड सैंपल एवं छात्रा के गर्भपात से पूर्व भ्रूण का सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कराया गया था। तीनों का डीएनए आपस में मैच कर गया था। इससे प्रिंसिपल और शिक्षक पर आरोप साबित हो गए। जबकि आरोपितों ने घटना की सूचना सार्वजनिक होने पर कई अहम साक्ष्य जला डाले थे। 

* ढाई साल में पीड़िता को दिलाया न्याय

 कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के कारण काफी दिन तक अदालत की प्रक्रिया रुकी रही। इसके बावजूद स्पीडी ट्रायल इंस्पेक्टर उमा सिंह और लोक अभियोजक सुरेश चंद्र प्रसाद ने समय साक्ष्य और गवाहों को न्यायालय में पेश कर पीड़िता को ढाई साल में न्याय दिला दिया।

साभार पीएमए न्यूज़ एजेंसी

महाराजा सुहेलदेव स्मारक् की पीएम नरेंद्र मोदी ने रखीं नींव

लखनऊ (पी एम ए)। महाराजा सुहेलदेव की जयंती के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहराइच जिले में महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील की विकास योजना का शिलान्यास किया। वहीं, महाराजा सुहेलदेव स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का लोकार्पण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया। इस दौरान पीएम मोदी ने लोगों को डिजिटल माध्यम से संबोधित भी किया। पीएम ने कहा, "महाराजा सुहेलदेव देश के उन वीरों में रहे हैं, जिन्होंने मां भारती के सम्मान के लिए संघर्ष किया।'' इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, "यह बसंत भारत के लिए नई उम्मीदों और नए उत्साह के साथ आया है, जो महामारी की निराशा को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ रहा है।" पीएम मोदी ने कहा कि, "महाराजा सुहेलदेव का ये आधुनिक और भव्य स्मारक, ऐतिहासिक चित्तौरा झील का विकास, बहराइच पर महाराजा सुहेलदेव के आशीर्वाद को बढ़ाएगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।" कहा कि "भारत का इतिहास वो नहीं है जो देश को गुलाम बनाने वालों और गुलामी की मानसिकता के साथ लिखने वालों ने लिखा, भारत का इतिहास वो भी है जो देश के सामान्य जन ने लिखा है।"पीएम मोदी ने कहा कि, " यह दुर्भाग्य है कि भारत की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वालों को उनका उचित स्थान नहीं दिया गया, जिनके वो हकदार थे।" इतिहास लिखने वालों ने आज के भारत को सही किया है। पीएम ने कहा कि आज जब भारत स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, ऐसे महान व्यक्तियों (महाराजा सुहेलदेव) के योगदान, उनके बलिदान, संघर्ष, वीरता और शहादत को याद करने और उनसे प्रेरणा लेने का इससे बड़ा अवसर कोई नहीं हो सकता। इस दौरान पीएम मोदी कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर किसानों को समझाने की कोशिश की। पीएम ने कहा कि तीनों नए कृषि कानूनों के जरिए छोटे किसानों को लाभ होगा, साथ ही जगह-जगह से किसानों को लाभ होने भी लगा है। कृषि कानूनों को लेकर कई तरह का प्रचार किया गया, जिन्होंने विदेशी कंपनियों के रास्ते खोले वो देशी कंपनियों को डरा रहे हैं। अब किसान ही इनकी पोल खोलने में लगे हैं। यूपी सरकार ने गन्ना किसानों, चीनी मिलें से जुड़ी समस्याओं को दूर किया है।

* भारत के अनेक सेनानियों को नहीं मिल सका मान

पीएम ने इस दौरान बोलते हुए कहा कि देश की पांच सौ से ज्यादा रियासतों को एक करने का कठिन कार्य करने वाले सरदार पटेल जी के साथ क्या किया गया, इसे देश का बच्चा भी भली-भांति जानता है। आज दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल की है, जो हमें प्रेरणा दे रही है। भारत के अनेक ऐसे सेनानी हैं, जिनके योगदान को अनेक वजहों से मान नहीं दिया गया। चौरी-चौरा के वीरों के साथ जो हुआ, वो क्या हम भूल सकते हैं। महाराजा सुहेलदेव और भारतीयता की रक्षा के लिए उनके प्रयासों के साथ भी यही प्रयास किया गया।

साभार पीएमए न्यूज़ एजेंसी

मायावती के बेहद खास रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी बनें यूपी कांग्रेस की मीडिया सेल के चेयरमैन

लखनऊ (पी एम ए)। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के कभी बेहद खास रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी का कद अब कांग्रेस में भी बढ़ रहा है। आल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने सिद्दीकी को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मीडिया विभाग के चेयरमैन बनाया है। इसके साथ ही सतीश अजमानी को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष बनाया गया है।माना जा रहा है कि कांग्रेस ने बसपा मुखिया के कभी दाहिना हाथ रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को अहम पद देकर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 से पहले मास्टरस्ट्रोक खेला है। प्रदेश में बुंदेलखंड के कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा से विधान परिषद सदस्य थे। बसपा से बाहर होने के बाद पार्टी ने उनकी सदस्यता भी समाप्त करा दी थी। इसके बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मीडिया सेल का चेयरमैन बनाया गया है। मिशन 2022 की तैयारी में जुटी कांग्रेस ने पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव तथा उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री फेस प्रोजेक्ट करने की तैयारी में है। इसी क्रम में पहले मीडिया सेल को मजबूत किया जा रहा है। करीब हफ्ते भर पहले कांग्रेस ने पार्टी में उत्तर प्रदेश की सोशल मीडिया सेल को संभाल रहे अध्यक्ष मोहित पाण्डेय को हटाकर अभय पाण्डेय को काम सौंपा था। उत्तर प्रदेश मिशन 2022 में जुटी कांग्रेस अब संगठन को भी पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त रखना चाहती है। राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा प्रदेश से लेकर निचले स्तर तक के पदाधिकारी की लगातार रिपोर्ट ले रही हैं। यह बेहद स्पष्ट संदेश है कि निष्क्रिय व परिणाम न देने वालों को पद पर न रखा जाए। इसी समीक्षा में कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष मोहित पाण्डेय फेल साबित हुए। अब उनके स्थान पर राष्ट्रीय आइटी सेल में काम कर रहे जालौन के अभय पाण्डेय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। मोहित पाण्डेय को प्रियंका वाड्रा के निजी सचिव संदीप ङ्क्षसह का बेहद खास बताया जाता है। उन्हीं ने यह जिम्मेदारी भी दिलाई थी, लेकिन प्रभारी की उम्मीदों पर खरा न उतरने की वजह से उन्हें हटा दिया गया है।  

साभार पीएमए न्यूज़ एजेंसी

सुप्रीम कोर्ट से AIIMS गोरखपुर में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के 11 छात्रों को मिली बड़ी राहत, आयोजित होगी परीक्षा

लखनऊ,(पी एम ए)। कोरोना वायरस संक्रमण के प्रोटोकॉल के कारण एम्स गोरखपुर में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के 11 छात्र-छात्राओं की कम उपस्थिति को लेकर शीर्ष कोर्ट ने बड़ा निर्णय दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एम्स गोरखपुर में कम उपस्थिति के कारण परीक्षा देने से वंचित रहे 11 छात्र-छात्राओं की फिर से परीक्षा होगी। सुप्रीम कोर्ट ने एम्स गोरखपुर को निर्देश दिया कि वह उन 11 प्रथम वर्ष के छात्रों की परीक्षा आयोजित करे जिनकी उपस्थिति कम थी। परीक्षा से वंचित प्रथम वर्ष के मेडिकल छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने एम्स गोरखपुर को निर्देश दिया है कि वह प्रथम वर्ष के 11 याचिकाकर्ता व छात्रों समेत अन्य समान स्थिति वाले छात्रों की परीक्षा आयोजित करे जिनकी अटेंडेंस कम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को 11 याचिकाकर्ता व छात्रों समेत अन्य समान स्थिति वाले छात्रों की परीक्षा करानी चाहिए। छात्र अगर परीक्षा में पास होते है तो उनको अगली क्लास में प्रमोट किया जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। यह परिस्थिति भिन्न है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "एम्स गोरखपुर में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के शॉर्ट अटेंडेंस के छात्रों परीक्षा में बैठने की इजाजत दी जानी चाहिए।" कोर्ट ने याचिककर्ता से ऐसे छात्रों की कुल संख्या बताने को कहा था जिनकी अटेंडेंस कम है। सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील नेदुम्पार ने कहा था कि उनके क्लाइंट की पर्याप्त अटेंडेंस है और उनको परीक्षा में बैठने की इजाजत दी जानी चहिए। विपक्षी पार्टी के वकील उदित्य बनर्जी ने कहा था कि छात्र की उपस्थिति कोरोना से पहले 60 फीसदी थी और कोविड के बाद वह चार कक्षाओं में उपस्थित हुए। छात्र का तर्क है कि वह क्लास ही नहीं कर सकता क्योंकि वह रिमोट एरिया से आता है। अगर वह चार ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो सकता तो वह दूसरी क्लास में भी शामिल हो सकता था। सूप्रीम कोर्ट ने एम्स के वकील से पूछा था कि अगर आप आज सुनवाई में शामिल हो रहे हैं तो क्या आप सभी सुवनाई में शामिल हो सकते हैं। हर रोज कुछ न कुछ तकनीकी दिक्कत आती है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि अब छात्र के पास क्या विकल्प है। इसके बाद एम्स के वकील ने कहा था कि छात्र प्रथम वर्ष का है, लिहाजा अब उसकी अक्टूबर में होने वाली प्रथम वर्ष की परीक्षा में शामिल होना चाहिए। इस बर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि यह 11 छात्रों के भविष्य से जुड़ा मामला है, क्या यह सिर्फ अटेंडेंस का मामला है, क्या कुछ और है।एलसीआइ के वकील के वकील गौरव शर्मा ने कहा था कि एम्स तो एमसीआइ के अधीन नहीं आता है, लेकिन हमारी राय है कि इन छात्रों का एक साल खराब नहीं होना चहिए।

साभार पीएमए न्यूज़ एजेंसी

वाराणसी की अदालत में भाजपा नेता मनोज तिवारी के खिलाफ परिवाद दर्ज

वाराणसी (पी एम ए) । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी को चीन का एजेंट बताने पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ मंगलवार को अदालत में परिवाद दाखिल किया गया। कांग्रेस पार्टी के विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह और अन्य की ओर से प्रस्तुत परिवाद को प्रभारी अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (षष्टम) की अदालत ने इसे पंजीकृत करते हुए पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 26 फरवरी की तारीख नियत कर दी। सुनवाई इस बात की होगी कि आवेदन सुनने योग्य है या नहीं। कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह समेत अन्य ने कोर्ट में आवेदन दिया है। आवेदन में कहा गया है कि सोमवार को शिवपुर क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भाग लिया था। कार्यक्रम में मनोज तिवारी ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को चाइना (चीन) का एजेंट बताया। मनोज तिवारी के इस बयान को वीडियो क्लिप, फेसबुक, व्हाट्सएप, यू-ट्यूब व अन्य चैनलों के माध्यम से प्रसारित और दिखाया जा रहा है। मनोज तिवारी के इस बयान से कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता मर्माहत हैं। इस बयान से राहुल गांधी की छवि और उनके राष्ट्रवादी होने पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया है। इससे उनकी मानहानि हुई है। विपक्षी को तलब करते हुए दंडित करने की गुहार लगाई गई है। सोमवार को अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद की ओर से शिवपुर स्थित श्री अन्नपूर्णा ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम में आयोजित विप्र धर्म संसद में शामिल होने के दौरान मनोज तिवारी ने किसान आंदोलन और लद्दाख सीमा से चीनी सेना की वापसी पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्ष को आड़े हाथों लिया था।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि तीनों नये कृषि कानून जरूरी नहीं हैं। जिसे नहीं मानना, वह न माने। इसके बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं है तो क्या किया जाए। मनोज तिवारी ने कहा कि हमारी सीमा से चीन के सैनिक पीछे हटे हैं। इससे राहुल गांधी के सीने में दर्द है। ऐसे लोग चीन के एजेंट हैं।

साभार पीएमए न्यूज एजेंसी

अवैध निर्माण के मामले को लेकर पुलिस ने किया मुख्तार अंसारी के बेटों से घंटो पूंछताछ

लखनऊ(पी एम ए)। उत्तर प्रदेश की मऊ सीट से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के दोनों बेटे उमर और अब्बास से सोमवार को हजरतगंज कोतवाली घंटो पूछताछ की गयी। डालीगंज में अवैध निर्माण के मामले में हजरतगंज कोतवाली में बीते साल दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। उस मामले में दोनों ने हाई कोर्ट से अरेस्ट स्टे भी ले रखा था। इंस्पेक्टर हजरतगंज श्यामबाबू शुक्ला ने बताया कि मुख्तार अंसारी के दोनों बेटों के अवैध निर्माण के मामले में विवेचक ने पूछताछ की थी। दोनों के बयान दर्ज हुए हैं। मामले के विवेचक इंस्पेक्टर डीसी श्रीवास्तव ने मुख्तार के बेटे उमर और अब्बास अंसारी से अवैध निर्माण के बारे में करीब 50 सवाल किए। कई सवालों में बताया जा रहा है कि दोनों भाई घिरते नजर आए। इंस्पेक्टर ने उनसे जमीन कब और कैसे ली, कैसे और क्यों, उस पर निर्माण कार्य शुरू कराया। करीब एक घंटे तक दोनों से पूछताछ चली। इसके बाद उन्हें छोड़ा गया। विवेचक के कक्ष से निकलने के बाद दोनों ने मीडिया को कोई भी जानकारी नहीं दी। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वह बयान दर्ज कराने आए थे। मुख्तार अंसारी ने डालीबाग स्थित एक जमीन पर कब्जा करके एक बहुमंजिला इमारत का निर्माण कराया था। बीते अगस्त माह में एलडीए ने इमारत को अवैध घोषित कर ढहा दिया था। मामले की जांच के बाद लेखपाल की तहरीर पर हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस, उमर और अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही थी, पर वह फरार चल रहे थे। इसके बाद दोनों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित किया गया था। दोनों ने इस दौरान हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे ले लिया। इसके बाद अब्बास भागकर जयपुर पहुंचा। वहां उसने शादी भी रचा ली। बीते दिनों अब्बास की शादी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, तो सबको जानकारी हुई।

साभार पीएमए न्यूज एजेंसी

फौजी ने पहली पत्नी से बिना तलाक लिए कर ली लव मैरिज,शैतान दे रही है जान से मारने कि धमकी

बरेली (पी एम ए)। यूपी के बरेली में फौजी ने पहली पत्नी को बिना तलाक दिये दूसरी युवती से प्रेम विवाह कर लिया और साथ ही पहली पत्नी को उसके हाल पर छोड़ दिया है। आरोपी पति पर गाली गलौज व उसकी दूसरी पत्नी पर जान से मरवाने की धमकी देने का आरोप लगाया है। इस मामले में पीड़िता ने एसएसपी रोहित सिंह सजवाण से मामले की शिकायत की है। जहां से उसे कार्रवाई का आश्वासन मिला है। कैंट कांधरपुर निवासी महिला ने एसएसपी को दिये प्रार्थना पत्र में बताया है कि उसका विवाह 17 अप्रैल 2009 को फतेहगंज पश्चिमी के गांव चिटोली निवासी युवक से हुआ था। उसका पति 16 मेडियम रेजीमेंट केयर ऑफ 99 एपीओ में हवलदार है। इसके साथ ही उसके पति ने 10 साल पहले फतेहगंज की धंतिया निवासी एक युवती से बिना तलाक दिये प्रेम विवाह कर लिया था। जिसके बाद से ही वह उसको छोड़ अपनी दूसरी पत्नी के साथ अपने दूसरे मकान में रहता है। पीड़िता ने बताया कि वह 2020 में अपनी ससुराल गई थी। जहां पर उसकी दूसरी पत्नी भी मौजूद थी। आरोप है कि उसने दूसरी पत्नी से वहां होने का कारण पूछा तो हवलदार पति ने उसके साथ गाली गलौज की और उसकी सौतन ने जान से मरवाने की धमकी दी। इस मामले में एसएसपी ने पीड़िता को कार्रवाई का आश्वासन देते हुये जांच के आदेश दिये है। आर्मी की सर्विस बुक में पीड़िता का नाम
पीड़िता के अनुसार हवलदार पति की आर्मी में बनने वाली सर्विस बुक में पत्नी के तौर पर उसका नाम ही अंकित है। जबकी पति उसको पत्नी की तरह नहीं रखता है और उसको अपने हाल पर ही छोड़ दिया है।एक महिला के द्वारा कराया गया था विवाह
पीड़िता के अनुसार पति का दूसरा विवाह एक महिला के द्वारा जान बूझकर कराया गया है। जिसका काम रुपये लेकर शादी कराना है। इसके साथ ही परिवार को बिगाड़ने के कई आरोपी उक्त महिला पर लग चुके है।

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