कानपुर से मधुकर मोघे की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर। बहुत जल्दी वह समय आ रहा है जब कानपुर शहर की सडकों पर सीढ़ी लाद विद्युत विभाग के कर्मचारी को बिजली के पोलो पर अपना सिर नही खपाना पडेगा। हा भाई नोडल अधिकारी एल इ डी डिपार्ट आदित्य जी की बात मानले तो देश के अपने प्रधान सेवक का देश को नई उचाई पर ले जाने का वह सपना जिसे उन्होने 2014 से विदेशो के दौरे किए है।और आधुनिक परिप्रेक्ष्य मे जो उनके जेहन मे है उसका कुछ असर कानपुर की सडको पर निकट भविष्य मे नजर आएगा । सपनो के साकार होने मे गर कुछ बिलम्ब हो रहा है तो उसके लिए नगर निगम के अधिकारी जिम्मेदार होगे। अब सवाल यह उठता है। यदि मोदी जी का यह कथन सत्य मान लिया जाये कि पिछले 70 सालो से कांग्रेस द्वारा की गई लूट के कारण देश का कोई विकास न हो सका है। तो चार साल के कार्यकाल में क्या कोई बैंक नहीं लूटा गया, बेरोजगारी दूर हुयी, भ्रष्टाचार कम हुआ, सरकारी योजनाओं का लाभ धरातल में पहुंच सका, काला धन वापस आ सका आदि?
यदि मोदी जी के स्वच्छता अभियान या ऊर्जा बचत योजना के अन्तर्गत लगाई जा रही लाइट पर नजर डाले तो पहले कानपुर नगर निगम की कार्यशैली पर ध्यान देना होगा। नगर निगम की कार्यशैली वेंटीलेटर पर लेटे मरीज की तरह है अर्थात सरकारी खजाना तो खाली कर दिया जाता है पर जनमानस को समस्या से मुक्ति नहीं मिल पाती। 2010 में कूडे निस्तारण के लिये ए टू जेड से हुआ करार 2014 में टूट जाता है। लगभग 1-5 लाख उपभोक्ताओं की जेब से वसूला 75 लाख रूपये का यूजर चार्ज व्यर्थ गया। नगर निगम के निर्देश पर कूडे का उठाया जाना , गैैमेक्सिन व चूने का छिड़काव, गाडियों में जीपीएस लगा मानिटरिंग व्यवस्था खोखली साबित हुयी।15 अगस्त 2015 में आउटसोर्सिंग योजना के अन्तर्गत 1,400 डस्टबिन का खरीदा जाना 337 संविदा कर्मियों को लगाया जाना, एँटीबायटिक कोटिंग युक्त ड्रेस, पोर्टेबल डस्टबिन, मेहनत से कार्य करने वाले कर्मियों के लिये साइकिल योजना आदि पर किया गया व्यय हवा हवाई हो गयी।भाऊ सिंह पनकी का प्लांट आज भी वेल्टरवेट पर है, वहां लाखों टन जमा कूडे से लोग बेहाल हैं। कोल व ब्रिक से बिजली बनने की योजना कागजों में दिख रही है। सालों से बिना सफाई कर्मियों की संख्या व संसाधनों की वृद्धि किया जाना जनता को झाडू पकडा कर सफाई करने करने के प्रचार पर करोडो का बजट व्यय कर दिया गया। हाल ही में ऊर्जा बचत योजना के अन्तर्गत पोलों में लगाई जा रही एलईडी के नाम लम्बी लापरवाही व मनमानी हो रही है। आटोमेटिक लाइट के खुलने व बन्द की कोई व्यवस्था न होने से लाइटे 24 घन्टे जलती दिख रहीं हैं।भारत न स्वच्छ हो सका न प्रकाशमय फिर भी कानपुर स्वच्छता की दौड पर नम्बर एक है।