यह कानून एक दुधारा आधार बनाकर समाज को तोड़ने और वैमनस्य फैलाने का काम ही करेगा अपूर्व अग्निहोत्री
व्यापारियों ने एससी एसटी एक्ट के विरोध में बाजार बंदी का किया समर्थन, बाजारों में पसरा रहा सन्नाटा
शाहजहाँपुर। आज भारत स्वाभिमान मंच के तत्वाधान में संशोधित sc-st एक्ट को वापस लेकर ख़ारिज करके समाप्त करने के संबंध में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। जोकि बरेली मोड़ से चालू होकर गर्रा पुल, कनौजिया अस्पताल, कच्चा कटरा मोड़, अंजान चौकी, घंटाघर, बहादुरगंज, सदर बाजार से होते हुए कलेक्ट्रेट में आकर संपन्न हुई। जिसमें हजारों की तादाद में सवर्ण उपस्थित रहे। इस दौरान शहर के मुख्य बाजारों में एससी एसटी वापस लिए जाने को लेकर बंदी का समर्थन करते हुए व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखी। और शहर की प्रमुख बाजारों की सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। संशोधित एससी एसटी एक्ट को वापस लेकर खारिज करके समाप्त करने के संबंध में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट आलोक कुमार को ज्ञापन सौपा गया। ज्ञापन में बताया कि स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा में यह मूल भावना रहती है कि राष्ट्र निर्माण में देश के सभी नागरिकों की समान भागीदारी हो। किंतु आजादी के बाद से लगातार देश की चुनी हुई सरकार है मनमाना आचरण करते हुए बिना किसी ठोस आंकड़ों और आधारों के सिर्फ चुनावी बिसात बिछा कर देश को जाति एवं धर्म के आधार पर तोड़ने का काम कर रही है। आज केंद्र में सत्तासीन भाजपा सरकार पूर्व में देश में व्यवस्था परिवर्तन की मांग को लेकर हुए आंदोलनों का परिणाम है। किंतु यह कैसी विडंबना है कि अपने चुनाव घोषणा पत्र की अनदेखी करके मात्र सत्ता में बने रहने के लिए थोथे और छदम राष्ट्रवाद की आड़ में पूरे समाज के आपसी सद्भाव, भाईचारे सामंजस्य और सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने का कुचक्र रचा जा रहा है। सयोंजक अपूर्व अग्निहोत्री ने कहा कि क्या सरकार का यह कर्तव्य नहीं है कि संविधान की मूल भावनाओं के अनुरूप एक ऐसे समाज और राष्ट्र का निर्माण हो जिसमें आपसी भय, अन्याय, अत्याचार गरीबी व शोषण ना हो और वंचितों मजदूरों, किसानों, नौजवानों के प्रभुत्व को मान्यता दी जाये। किंतु दुर्भाग्यवश सत्ता में बैठे लोग इसे अस्वीकार करके पूरा तंत्र ही खत्म कर देना चाहते हैं। तो इन परिस्थितियों में हम कैसे एक महाशक्ति और विश्व गुरु बनने की कल्पना कर सकते हैं। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा संसद और राज्य सभा में जो संशोधित एससी एसटी एक्ट अत्याचार निवारण कानून 2018 में कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं। वह न्याय की नैसर्गिक अवधारणा के विपरीत हैं। क्या किसी के आरोप लगा देने मात्र से ही, बिना जांच के किसी को अपराधी लगा देने मात्र से, बिना जांच के किसी को अपराधी मान लेना और उसे जेल भेज देना संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन और अतिक्रमण नहीं है। यह कानून एक दुधारा हथियार बना कर समाज को तोड़ने और वैमनस्य फैलाने का काम ही करेगा। अपूर्व अग्निहोत्री ने कहा कि हम लोग आपसे यह मांग करते हैं कि एससी एसटी एक्ट अत्याचार निवारण कानून में हुए संशोधनों को खारिज करते हुए अविलंब समाप्त किया जाए। ताकि राष्ट्र की एकता, अखंडता बनी रहे और समाज में सामाजिक सद्भाव, समरसता और भाईचारा बना रहे। साथ ही हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों तथा नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों व संविधान की मूल भावना का हनन ना हो सके। इस दौरान बीडी शर्मा, जेबी सिंह, शरद सिंह, अमित बाजपेई, पीके गुप्ता, सेठ पाल सिंह, सोनू तिवारी, शाश्वत पांडे, गौरव मिश्रा, अनुज अग्निहोत्री, अरविंद त्रिपाठी, अनुपम मिश्रा, सौरभ शुक्ला एडवोकेट, मनोज यादव, मनीष यादव, आफताब सिद्दीकी, संजीव गुप्ता, शरद चंद्र गुप्ता, सुरजीत सिंह, अनूप सिंह एडवोकेट, इंद्रपाल सिंह, आशीष त्रिपाठी, डॉ आशुतोष बाजपाई, मुरारी दीक्षित, प्रदीप तिवारी पिंटू, मोहित अवस्थी, लवकुश शर्मा एडवोकेट, विजय द्विवेदी, आशीष मिश्रा, विनीत बाजपेई, परितोष दीक्षित, राम चेतन त्यागी, संतोष शुक्ला, रामू मिश्रा, रितेश शर्मा, डॉक्टर संजय अवस्थी, पंकज तिवारी आदि हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
शाहजहाँपुर से आशीष कुमार वैश्य की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र