चन्द्रशेखर आजाद पार्क में मनाया गया हाकी जादूगर का जन्म दिन
खिलाड़ियों को खेल के मैदान, कोच व किट के साथ दी जाय बेहतर सुविधाएँ
समाजवादी व्यापार सभा ने खेल दिवस के रूप में किया कार्यक्रम
सरकारों की संवेदनहीनता के कारण बिखर जाते हैं सपने
रायबरेली। समाजवादी व्यापार सभा के तत्वाधान में अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद पार्क में राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म दिन खेल दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर प्रान्तीय सपा नेता ओ.पी. यादव ने भारत सरकार से मांग की कि मेजर ध्यानचंद को मरणोपरान्त भारत रत्न दिया जाय। मेजर ध्यानचंद ने जर्मनी में हिटलर के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, जिसमें उन्होनें जर्मनी की तरफ से हाकी का खेल खेलने पर सेना में हाईपोस्ट देने का प्रस्ताव रखा। मेजन ध्यानचंद ने कहा मैं अपनी मातृभूमि को कतई नहीं छोड़ सकता। समाजवादी व्यापार सभा के जिलाध्यक्ष मुकेश रस्तोगी ने कहा कि मेजर ध्यानचंद 16 वर्ष की आयु में सेना में शामिल होकर हाकी खेल में कई पदक दिलायें। उन्होनें चार बार स्वर्ण पदक जीतकर विश्व में राष्ट्र का गौरव बढ़ाया। बड़ौदा यू.पी. बैंक सेवानिवृत्त स्टाफ कल्याण समिति के महामंत्री अजीत कुमार मेहरोत्रा ने कहा कि 1926 में न्यूजीलैंड में होने वाले टूर्नामेन्ट में भारत ने 21 खेलों में 18 में जीत हासिल की, एक मैच हारे, दो मैच ड्रा हुए। भारत ने 192 गोल किए जिसमें 100 गोल अकेले ध्याचन्द ने किए, जिसके बाद सेना में उन्हें लांसनायक बना दिया गया। ए.बी.डी.एम. के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष कमलेश चौधरी ने कहा कि 1928 में एंम्स्टर्डम ओलम्पिक गेम में भारतीय टीम का फाइनल मैच नीदरलैन्ड से हुआ था, जिसमें भारत को ध्यानचंद के कारण पहले स्वर्ण पदक मिला। पूर्व सभासद मो0 आसिफ ने कहा कि देश की 130 करोड़ जनता के बाद हम पदक के लिए तरस जाते हैं, तो यह खिलाड़ियों की कमी नहीं बल्कि सरकार द्वारा खिलाड़ियों की उपेक्षा का परिणाम है। व्यापार सभा के जिला उपाध्यक्ष उजैर अली ने कहा कि 1932 में बर्लिन ओलम्पिक में लगातार तीन टीमों हंगरी, अमेरिका और जापान को जीरो गोल से हराया। उपाध्यक्ष मो0 अफसर हुसैन ने कहा कि ध्यानचन्द अर्न्तराष्ट्रीय हाकी को 1948 तक खेलते रहे, इसके बाद 42 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट ले लिए लेकिन सेना के लिए 1956 तक हाकी स्टिक को अपने हाथों में थामे रखा। जिला कोषाध्यक्ष मो0 शाकिब कुरैशी ने कहा कि सरकारों की संवेदनहीनता के कारण खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा निखाने का मौका नहीं मिलता है, जिस कारण उनके सपने बिखर जाते हैं। सदर वि0स0 सभा अध्यक्ष मो0 फुरकान खान ने कहा कि खिलाड़ियों को खेल के मैदान, कोच व किट तक नहीं मिल पाती है, जिससे वे आगे नहीं बढ़ पाते। महामन्त्री सदर वि0स0 नौशाद रायनी ने कहा कि खेल दिवस का महत्व तभी है, जब आज के दिन सरकार यह घोषणा करे कि हर गांव में खेल के मैदान व खिलाड़ियों को उचित व्यवस्था हेतु बजट दिया जाएगा। नगर महामन्त्री संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि 1932 के सेमी फाइनल में भारत ने फ्रांस को 10 गोल से हराया। फाईनल मैच जर्मनी के साथ हुआ था, इस बार ध्यानचंद जूते उतारकर खेले थे और भारत को स्वर्ण पदक मिला। युवा खिलाड़ी शनी कुमार ने कहा कि ओलम्पिक के प्रतिभागी हाकी खिलाड़ियों का दर्द यह बताता है कि पद न मिलने के लिए सरकार की बदइंतजामी जिम्मेदार है। इस अवसर पर शत्रुघ्न पटेल, अस्मित यादव, सुशील मौर्य, मो0 हलीम, गुफरान, अजय मौर्या, मुकेश पासी, मो0 जुनैद, आकाश मिश्रा, रामधनी यादव आदि लोगों ने मेजर ध्यानचंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। साथ ही खिलाड़ियों की असुविधाओं पर भी चर्चा की।
रिपोर्ट : जावेद आरिफ
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र