सरकारी ट्रॉमा सेंटर में रात के मरीजो पर रहती है विशेष नजर
कहीं झाड़ियों तो कहीं ट्रॉमा के सामने ही रहतीं हैं खड़ीं
फ़िरोज़ाबाद ।। जनपद में वैसे तो केंद्र और प्रदेश सरकारों ने सरकारी अस्पताल में दिखाने वाले मरीजों के लिए कई सुविधाएं शुरू की हैं, लेकिन इन सुविधाओ का लाभ मिलने से पहले ही मरीजो का शोषण शुरू हो जाता है। गंभीर मरीजो के लिए एएलएस और 108 की सुविधाएं उपलब्ध हैं लेकिनन इनका लाभ तो तब मिले जब जिला अस्पताल और सरकारी ट्रॉमा सेंटर के आसपास बिछा प्राइवेट एम्बुलेंसो का जाल हटे, अब इन एम्बुलेंस चालको का हस्तक्षेप इतना बढ़ गया है कि इनके किसी न किसी आदमी का प्रवेश सरकारी ट्रॉमा सेंटर के अंदर होता है और वह किसी भी गंभीर मरीज के तीमारदार को यही सलाह देता है यहाँ तो आपका मरीज और बीमार हो जाएगा, तुरंत आगरा या हमारे बताये किसी अच्छे नर्सिंग होम में ले जाओ, पैसे भी कम करवा देंगे और मरीज भी ठीक हो जाएगा। इस तरह भ्रमित कर प्राइवेट एम्बुलेंस के माध्यम से अपने मनचाहे कमीशन मिलने वाले अस्पताल में छोड़ दिया जाता है। बीते कुछ दिनों पूर्व तो देर रात एक 108 में जा रहे मरीज को ही उसमें से निकाल प्राइवेट एम्बुलेंस में ले जाने की सलाह देने लगे, तब तीमारदार भड़के, इसके बाद जाने दिया। इसमें कहीं न कहीं जिला अस्पताल के कुछेक कर्मचारियों की मिलीभगत भी शामिल है, वर्ना कोई भी बाहरी व्यक्ति कैसे सरकारी ट्रॉमा सेंटर के अंदर दिन और रात प्रवेश कर सकता है? सरकारी ट्रॉमा सेंटर में कार्यरत एक कर्मचारी ने नाम न छापने का आग्रह करते हुए यह तक बताया कि वे तो सीएमएस से रोज कहते हैं उनकी डयूटी यहाँ से हटवा दें पर वे सुनते नहीं हैं। मुझे प्राइवेट एम्बुलेंस वाले देख लेने की धमकी देते हैं, अब सोचने वाली बात यह है आखिर सीएमएस यहाँ के मामलो को गंभीरता से क्यूँ नहीं ले रहे हैं। उनके सभी आदेश महज खानापूर्ति साबित हो रहे हैं जैसे ट्रॉमा सेंटर के सामने और आसपास एक भी प्राइवेट एम्बुलेंस नही दिखनी चाहिए, कोई भी बाहरी व्यक्ति अंदर प्रवेश नहीं करना चाहिए, लेकिन हो तो इसके विपरीत रहा है। आज सुबह भी जब देखा गया तो ट्रॉमा सेंटर के आसपास व सामने प्राइवेट एम्बुलेंस खड़ी हुयीं थीं और बाहरी व्यक्ति तो दिन रात प्रवेश करते हैं और उनका हस्तक्षेप भी रहता है।
कश्मीर सिंह मण्डल संवाददाता आगरा
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र