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Wednesday, July 7, 2021

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में स्थित जी०सर्जिवियर लिमिटेड कंपनी में हुई नई दर्दनिवारक खोज

ऑर्थोपेडिक्स फ्रैक्चर आपरेशन के बाद अब नही सहना होगा आजीवन दर्द

मैग्नीशियम इम्प्लांट्स खोज से बदलेगी ऑर्थोपेडिक्स मरीजों की जिंदगी

अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
शाहजहांपुर। जनपद शाहजहांपुर में स्थित मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय विख्यात कंपनी जी० सर्जीवियर लिमिटेड शाहजहांपुर के महाप्रबंधक एवं निदेशक डॉ घनश्याम दास अग्रवाल एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ) आईआईटी ,आईएसएम धनबाद से शिक्षा प्राप्त तथा जी सर्जिवियर लिमिटेड शाहजहांपुर में कार्यरत वैज्ञानिक श्री नितिन प्रताप वर्मा व उनकी टीम के अथक प्रयासों मेहनत शोध द्वारा मैग्निशियम इप्लांट की नई खोज की गई है। वर्तमान समय में मनुष्यों के आर्थोपेडिक फ्रैक्चर होने पर व्यक्तियों का ऑपरेशन करके मेटल रोड व अन्य पार्ट शरीर में फिक्स किए जाते हैं जिन्हें ठीक होने के पश्चात निकालना भी पड़ता है । जब तक यह पार्ट शरीर में इंप्लांट्स रहते हैं तब तक पीड़ा व दर्द भी झेलना पड़ता है । मैग्निशियम इंप्लांट एक नई खोज को ऑपरेशन करके शरीर में इंप्लांट्स किया जाता है तथा शरीर की हड्डी जोड़ने व ठीक होने के उपरांत उक्त प्रोडक्ट मैग्निशियम  इंप्लांट्स कुछ समय अंतराल पर शरीर में स्वतः ही घुल जाते हैं व साथ ही साथ दर्द व पीड़ा भी नहीं सहन करनी पड़ती है । दुनिया में सैकड़ों वैज्ञानिक अनेकों शोध प्रयोगशालाओं में शरीर में पुनर् अवशोषण द्वारा खत्म होने वाले आर्थोपेडिक धातु की प्लेटें एवं पेंचों पर शोध कर रहे हैं। सैकड़ों की तादात में शोध पत्र प्रकाशित किए जा रहे हैं। अभी तक किसी वैज्ञानिक ने किसी भी शोध शाला में चरम सफलता (मनुष्य में प्रयोग किए जाने लायक ) नहीं प्राप्त की है। जी सर्जिबीयर की शोधशाला ही दुनिया की प्रथम ऐसी शोधशाला है। जिसने मनुष्य में प्रयोग किए जाने लायक पुनर अवशोषण वाली धातु की प्लेटें एवं पेंचों को बनाने में सफलता भी प्राप्त की है। शोधशाला में विकसित पुनरअवशोषण के गुणों वाली धातु की मैग्निशियम जिंक आयरन जो प्लेटें एवं पेच विकसित किए गए हैं वह कम से कम 12 हफ्ते तक 90% अपनी मजबूती को बनाए रखते हैं और दो-तीन साल में पूरे तौर पर शरीर में पुनर अवशोषित हो जाते है। अवगत करा दें कि मैग्नीशियम एक प्राकृतिक धातु है इससे बनने वाले इंप्लांट मानवीय दृष्टिकोण से जैविक एवं उपयुक्त गैर विषैले एवं जैव शोधनीय पदार्थ हैं। अतः उक्त नई खोज मेडिकल क्षेत्र में नई उम्मीद व आश्चर्यजनक अविष्कार है। जिसे वैज्ञानिकों व उनकी टीम के चार-पांच वर्षो के अथक परिश्रम मेहनत व लगन के साथ अत्याधिक धनोपार्जन के उपरांत अर्जित किया गया है। यह खोज व शोध शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश में स्थापित जी० सर्जीबियर लिमिटेड के महाप्रबंधक वैज्ञानिक श्री नितिन प्रताप वर्मा व उनकी टीम के परिश्रम मेहनत का प्रतिफल है। उक्त ऑर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में हुई नई खोज को भारत के विशिष्ट अनुसंधान संस्थानों तथा सीएसआईआर- नेशनल मेटालर्जिकल लैबोरेट्री जमशेदपुर, श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम केरल, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ एवं आईसीएआर - इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट इंस्टिट्यूट बरेली के माध्यम से परीक्षण की प्रक्रिया चल रही है तदोपरांत मानव शरीर पर भी परीक्षण किया जाएगा। यह खोज मेडिकल क्षेत्र में एक वरदान के समान सिद्ध होगी।

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